क्या आप भी इतिहास और प्रकृति दोनों में रुचि रखते है और कहीं सुकून भरी जगह की तलाश में हैं? तो मध्यप्रदेश का मांडू किला आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है।ये किला इंदौर से लगभग 100 किलोमीटर दूर धार जिले में स्थित यह ऐतिहासिक किला समुद्र तल से करीब 2000 फीट की ऊंचाई पर बसा है और प्रकृति व इतिहास के अद्भुत मेल है।
मांडू सिर्फ एक किला नहीं, बल्कि एक पूरा शहर है ये शहर मालवा पठार और निमाड़ क्षेत्र के बीच बसा है। ऊँचाई से नर्मदा नदी दिखाई देती है। यहा सैकड़ों साल पुराने महल भी मोजुद है जिनके के बीच घूमना एक ऐसा अनुभव है। जिसे भुला पाना मुश्किल होगा। यह जगह खासकर उन लोगों के लिए आदर्श है।जो इतिहास में रुचि रखते हैं और साथ ही प्रकृति के साथ समय बिताना पसंद हैं।
मांडू का इतिहास
मांडू का इतिहास 11वीं शताब्दी पुराना है,11वीं शताब्दी मे यह शहर तरंगा वंश के अधीन था।इसके बाद 13वीं शताब्दी में यह मालवा के सुल्तानों के अधीन हो गया और 1401 से 1561 तक यह मालवा साम्राज्य की राजधानी बना रहा।बाज बहादुर और रानी रूपमती की अमर प्रेम कथा यहां की सबसे प्रसिद्ध कहानी है ,जो आज भी मांडू की हवाओं में गूंजती है।
मांडू में घूमने लायक प्रमुख स्थल
रानी रूपमती का महल
इस महल को बाज बहादुर ने अपनी प्रिय रानी रूपमती के लिए बनवाया था। यह महल नर्मदा नदी से करीब 365 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और प्रेम की अमर निशानी के रूप में जाना जाता है।
जहाज़ महल
यह महल अपने जहाज़ जैसे आकार और सुंदर आर्किटेक्चर के लिए प्रसिद्ध है। महल में बने फव्वारे और जलमार्ग इसकी भव्यता को और बढ़ाते हैं। इसका निर्माण घिया-उद-दीन खिलजी ने करवाया था।ये राजा खिजली राजवंश से थे। सबसे खास बात ये है की ये महल दो झीलों के बीच में स्थित है।
हिंडोला महल
हिंडोला यानी झूला इस महल की दीवारें 77 डिग्री के कोण पर झुकी हुई हैं, जो इसे अनोखा बनाती हैं। इसका निर्माण 1425 ईस्वी में सुल्तान हुशंग शाह द्वारा कराया गया था।
अगर आप मांडू जाने का विचार कर रहे हैं तो रानी रूपमती महल, जहाज़ महल और हिंडोला महल को अपनी यात्रा में ज़रूर शामिल करें। ये न केवल आपके वेकेशन को ऐतिहासिक बना देंगे, बल्कि आपको प्रकृति और प्रेम की कहानियों से भी जोड़ देंगे।