Grah Gochar May 2025: इस समय गुरु ग्रह वृष राशि में स्थित हैं, लेकिन तीन दिन बाद, यानी 8 मई को, वे राशि परिवर्तन करने जा रहे हैं। यह गोचर करीब एक वर्ष बाद हो रहा है और ज्योतिषियों के अनुसार, तीन राशियों के लिए यह परिवर्तन सावधानी बरतने का संकेत दे रहा है। विशेष रूप से 8 जून तक का समय इन राशियों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
इस अवधि में विवाह जैसे महत्वपूर्ण निर्णय लेते समय सतर्क रहने की सलाह दी गई है। साथ ही, गुरु ग्रह आर्थिक परेशानियों और मानसिक तनाव का कारण भी बन सकते हैं। आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य के अनुसार, मई 2025 में होने वाले इस गुरु गोचर का प्रभाव किन राशियों के लिए आगामी 30 दिन कठिनाइयों भरे हो सकते हैं।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, जब देवगुरु बृहस्पति मिथुन राशि में गोचर करेंगे, तो इसका विशेष प्रभाव धनु, वृश्चिक और मीन राशि वालों पर पड़ेगा। इन जातकों को विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है।
इसकी वजह यह है कि मिथुन राशि में गुरु का प्रवेश इन राशियों की कुंडली में क्रमशः चौथे (धनु), आठवें (वृश्चिक) और बारहवें (मीन) भाव में प्रभाव डालेगा। ये सभी भाव जीवन में मानसिक, पारिवारिक और आर्थिक अस्थिरता से जुड़े माने जाते हैं। ऐसे में इन तीनों राशियों के जातकों को अगले कुछ हफ्तों तक संभलकर निर्णय लेने की जरूरत है।
गुरु गोचर का प्रभाव क्या होता है?
जब गुरु ग्रह राशि परिवर्तन करता है, तो इसका व्यापक असर व्यक्ति के जीवन और समाज पर पड़ता है। इस अवधि में आमतौर पर:
• पीली चीजों जैसे बेसन, हल्दी, चने की दाल, केले आदि के दाम बढ़ सकते हैं।
• व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता में उतार-चढ़ाव आ सकता है।
• विवाह के योग बनते या बिगड़ सकते हैं — यानी विवाह से संबंधित निर्णयों में शुभ-अशुभ फल मिल सकते हैं।
• शिक्षा, धर्म, नौकरी, और संतान से जुड़े मामलों पर भी इसका सीधा असर पड़ता है।
गुरु को मजबूत करने के उपाय:
अगर कुंडली में गुरु कमजोर है या उसका गोचर अशुभ भाव में हो रहा है, तो नीचे दिए गए उपायों से उसे बलवान किया जा सकता है:
1. गुरु मंत्र का जाप:
“ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः” – इस मंत्र की रोज़ 3, 5 या 16 माला जाप करें।
2. गुरुवार का व्रत रखें:
यह गुरु को प्रसन्न करने का सबसे प्रभावी तरीका माना जाता है।
3. विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें:
इससे आध्यात्मिक बल और गुरु का प्रभाव बढ़ता है।
4. पीले वस्त्र पहनें और पीली वस्तुओं का दान करें:
जैसे बेसन, चना दाल, हल्दी, केला, केसर आदि।
5. गुरुवार को हल्दी से स्नान करें और मानसिक रूप से गुरु को प्रणाम करें।
6. केले के पेड़ की पूजा करें:
उसकी जड़ में घी का दीपक जलाएं और चने-गुड़ का भोग लगाएं।
7. पुखराज रत्न धारण करें:
इसे सोने की अंगूठी में तर्जनी (इंडेक्स फिंगर) में पहनें (जन्मकुंडली में शुभ स्थिति की पुष्टि के बाद ही)।
8. गुरु, माता-पिता और बुजुर्गों का सम्मान करें:
उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें।
9. गुरुवार को भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करें।
गुरु गोचर से बढ़ सकती है इन जातकों की टेंशन
ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार, जिन कन्याओं की कुंडली में गुरु ग्रह चौथे, आठवें या बारहवें भाव में स्थित होता है, उन्हें विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है। इस स्थिति में गुरु का प्रभाव विवाह में अड़चनें उत्पन्न कर सकता है। अगर ऐसे समय में विवाह हो जाए, तो वैवाहिक जीवन में तनाव और समस्याएं आने की संभावना बढ़ जाती है।
गुरु की चाल मई में बदलेगी
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष 8 मई 2025 को गुरु ग्रह मिथुन राशि में प्रवेश करेगा और अक्टूबर तक यहीं स्थित रहेगा। इसके बाद:
• 2 अक्टूबर को गुरु वक्री (तिरछी चाल) होंगे और मिथुन से कर्क राशि में प्रवेश करेंगे।
• एक महीने तक कर्क में रहने के बाद, 31 दिसंबर को गुरु मार्गी होकर फिर से मिथुन राशि में लौट आएंगे।
• ज्योतिष के अनुसार, गुरु साल में एक बार ही अपनी राशि बदलते हैं, और इस बार उनका यह गोचर प्रभावशाली और दीर्घकालिक माना जा रहा है।
कमजोर गुरु और विवाह बाधा का समाधान — पीली पूजा
यदि कन्या की कुंडली में गुरु कमजोर है या अशुभ स्थिति में है, तो पीली पूजा करने की सलाह दी जाती है। इसमें शामिल होते हैं:
• पीली वस्तुओं का दान — जैसे हल्दी, चना, बेसन, केसर।
• पीले वस्त्र पहनना
• गुरु मंत्र का जाप
• गुरुवार का व्रत
• यह पूजा विवाह से पहले कराई जाए तो बेहतर फल मिलते हैं।