केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के नए निदेशक की नियुक्ति को लेकर देश के शीर्ष नेताओं की एक महत्वपूर्ण बैठक प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में आयोजित की गई। इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना शामिल हुए। यह बैठक सीबीआई डायरेक्टर के चयन को लेकर विचार-विमर्श के लिए बुलाई गई थी।
सीबीआई डायरेक्टर की नियुक्ति प्रक्रिया
सीबीआई निदेशक की नियुक्ति एक संवेदनशील और महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसे दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टैब्लिशमेंट एक्ट, 1946 के तहत नियंत्रित किया जाता है। इस कानून में 2013 में संशोधन किया गया था, जिसके बाद यह अनिवार्य कर दिया गया कि निदेशक की नियुक्ति तीन सदस्यीय चयन समिति की सिफारिश पर ही हो।
इस समिति में तीन प्रमुख सदस्य होते हैं:
- भारत के प्रधानमंत्री
- लोकसभा में विपक्ष के नेता
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
यह समिति देश के अगले सीबीआई प्रमुख के लिए उपयुक्त नाम पर विचार करती है और अंतिम मुहर लगाती है।
प्रवीण सूद का कार्यकाल 25 मई को समाप्त
वर्तमान में सीबीआई के निदेशक प्रवीण सूद हैं, जिनका कार्यकाल 25 मई 2025 को समाप्त हो रहा है। सूद को मई 2023 में इस पद पर नियुक्त किया गया था। उस समय वे कर्नाटक के डीजीपी थे। उन्होंने सुबोध जायसवाल की जगह ली थी। प्रवीण सूद 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और कर्नाटक कैडर से आते हैं।
नए निदेशक की तलाश शुरू, जल्द होगा ऐलान
चूंकि प्रवीण सूद का कार्यकाल अब समाप्ति की ओर है, इसलिए सरकार और संबंधित अधिकारियों ने नए निदेशक की नियुक्ति को लेकर प्रक्रिया तेज कर दी है। बैठक में संभावित उम्मीदवारों पर चर्चा की गई और जल्द ही एक नाम पर सहमति बनने की संभावना है।
सीबीआई निदेशक का पद न सिर्फ कानूनी रूप से संवेदनशील होता है, बल्कि यह संस्था देश की भ्रष्टाचार-रोधी कार्रवाई की रीढ़ मानी जाती है। ऐसे में इस पद पर नियुक्ति में निष्पक्षता, योग्यता और अनुभव को सबसे अधिक प्राथमिकता दी जाती है।