एमपी बोर्ड में पिछड़ा इंदौर, टॉप 10 रेकिंग में भी नहीं हो पाया शामिल

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भोपाल स्थित अपने सरकारी निवास से बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट जारी किया। इस बार का परिणाम पिछले सालों से बेहतर रहा, इसको लेकर उन्होंने प्रदेश के सभी बोर्ड परीक्षा में पास हुए बच्चों को बधाई दी। हर बार की तरह इस बार भी बेटियों ने प्रदेश में बाजी मारी है। लेकिन इस बार के परीणाम ने इंदौर जिले को पछाड़ा दिया है। इस बार बोर्ड परीक्षा की रेकिंग में नरसिंहपूर जिले ने बाजी मारी है लेकिर इंदौर जिला टॉप टेन में भी शामिल नहीं हो पाया। जो एक गंभीर चिंतन का विषय है जबकि इंदौर जिले में एमपी बोर्ड के पास अत्यधिक संसाधन उपलब्ध है इसके बावजूद यहां के शिक्षक स्कूल में पढ़ने वाले बच्चो का भविष्य संवार नहीं पाएं। बता दें कि सिंगरौली की प्रज्ञा जायसवाल ने प्रदेश में टॉप किया है। प्रज्ञा जायसवाल को 500 में से 500 अंक प्राप्त किए है। दसवीं में नरसिंहपुर जिले ने बाजी मारी है। यहां 92.73 फीसदी छात्रों ने सफलता हासिल की है। दूसरे नंबर पर 89.83 फीसदी पास परसेंटेज के साथ मंडला जिला रहा है।  इसके साथ ही आइए देखते है टॉप टेन में कौन-कौनसे जिले शामिल हुए। देखिए जिलेवार लिस्ट-

नरसिंहपुर: 92.73%

मंडला: 89.93%

बालाघाट: 88.07%

अनूपपुर: 87.66%

नीमच: 87.29%

शाजापुर: 86.22%

सीहोर: 85.54%

होशंगाबाद: 84.08%

देवास: 84.05%

झाबुआ: 83.88%

सिवनी: 83.75%

शहडोल: 83.72%

मंदसौर: 83.55%

खंडवा: 83.37%

इसमें इंदौर में 75.42 फीसदी छात्र उत्तीर्ण हुए हैं, जबकि भोपाल में पास परसेंटेज 73.28 रहा है। प्रदेश में सबसे खराब प्रदर्शन दमोह का रहा, जहां 53.38 फीसदी छात्र ही पास हुए हैं।

एक मौका ओर मिलेगा

सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि एमपी बोर्ड परीक्षा में असफल होने वाले छात्रों को एक और मौका देने का निर्णय लिया गया है। अब 10वीं और 12वीं के वे छात्र जो फेल हो गए हैं या अपने अंकों में सुधार (इंप्रूवमेंट) करना चाहते हैं, वे 17 जून से दोबारा परीक्षा दे सकेंगे। यह व्यवस्था नई शिक्षा नीति के तहत की जा रही है। इस तरह का प्रयोग करने वाला मध्य प्रदेश देश का तीसरा राज्य बन गया है। सीएम डॉ. मोहन यादव ने रिजल्ट जारी करते हुए कहा, प्राइवेट की तुलना में शासकीय विद्यालय अव्वल रहे।