पहलगाम में हुए कायराना आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में स्थित आतंक के अड्डों पर करारा प्रहार करते हुए ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया। सेना की इस रणनीतिक और साहसिक कार्रवाई में जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन के कम से कम नौ आतंकी शिविरों को नेस्तनाबूद कर दिया गया है।
आतंकियों के गढ़ को बनाया निशाना
भारतीय सेना की इस निर्णायक कार्रवाई पर मंगलवार को एक अहम प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई, जहां सेना की तेजतर्रार अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी ने ऑपरेशन की जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि यह ऑपरेशन 6 और 7 मई की रात को अंजाम दिया गया, और बेहद सटीक तरीके से आतंकियों के गढ़ को निशाना बनाकर खत्म किया गया। “यह सिर्फ एक जवाबी कार्रवाई नहीं थी, यह आतंक के खिलाफ एक स्पष्ट संदेश था,” यह कहते हुए कर्नल कुरैशी ने देशवासियों को जानकारी दी।
आतंकियों को मैदान में जवाब देना था जरूरी
इस प्रेस ब्रीफिंग में विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने भी अपनी बात रखी और स्पष्ट किया कि भारत ने अपने संप्रभु अधिकार का उपयोग करते हुए यह कार्रवाई की है। उन्होंने कहा कि पहलगाम में नागरिकों की नृशंस हत्या ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया, और ऐसे में आतंकियों को उनके ही मैदान में जवाब देना जरूरी था। यहीं “पाकिस्तान सिर्फ आरोप लगाने में व्यस्त रहा, जबकि भारत ने ठोस कार्रवाई की,” यह बात विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने प्रेस कांफेंस में कही। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि जम्मू-कश्मीर में बढ़ते पर्यटन और विकास को रोकने के लिए ही यह हमला किया गया था। पिछले साल रिकॉर्ड 2.25 करोड़ पर्यटक घाटी में आए थे, जो पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों को रास नहीं आ रहा था। इसलिए उन्होने पर्यटकों को निशाना बनाया ताकि कश्मीर आने वाले पर्यटकों में खौफ बनाया जा सके लेकिन भारत ने अब इसका जवाब दे दिया है।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी कड़ा संदेश
ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी भारत का यह स्पष्ट संकेत है कि वह अब आतंक के खिलाफ ‘नो टॉलरेंस’ नीति पर काम कर रहा है। यह अभियान, भारतीय सेना की साहसिक रणनीति और खुफिया तंत्र की सटीकता का बेहतरीन उदाहरण बनकर सामने आया है।