इंदौर में हाल ही में हुआ 455 करोड़ रुपए का ऐतिहासिक जमीनी सौदा अब सवालों के घेरे में फंस गया है। स्मार्ट सिटी की महू नाका स्थित कुक्कुट पालन केन्द्र की करीब 7 लाख स्क्वेयर फीट जमीन का टेंडर लेने वाली तीर्थ गोपीकॉन लिमिटेड ही सीबीआई जांच के घेरे में आ गई है। जिससे अब इस डील पर ग्रहण लगता नजर आ रहा है। वजह है एक फर्जी बैंक गारंटी का मामला, जिसमें मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सीधे CBI जांच के आदेश दे दिए हैं।
सबसे उंची बोली लगा कर हुई थी हाईलाइट
इस हाई-प्रोफाइल डील में स्मार्ट सिटी द्वारा निर्धारित 378 करोड़ रुपए के आरक्षित मूल्य के मुकाबले तीर्थ गोपीकॉन ने 454.54 करोड़ की सबसे ऊंची बोली लगाकर यह जमीन हासिल की थी। 1 मई को स्मार्ट सिटी बोर्ड की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी भी मिल चुकी थी, और कलेक्टर आशीष सिंह ने इस बड़ी राशि से इंदौर में मास्टर प्लान और प्रमुख सड़क परियोजनाओं की घोषणा भी कर दी थी।
कहानी ने आया नया मोड़
सबसे बड़ी बोली लगा कर हाईलाइट हुई तीर्थ गोपीकॉन लिमिटेड कंपनी की कहानी में तब नया मोड़ आ गया जब खुद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दावा किया है कि जल निगम द्वारा उन पर लगाए गए 184 करोड़ की फर्जी बैंक गारंटी के आरोप निराधार हैं और असली दोषी बैंक है, जिसने उन्हें धोखा दिया। दिलचस्प बात यह है कि इसी याचिका के बाद हाईकोर्ट की डबल बेंच – मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायाधीश विवेक जैन – ने मामले की गंभीरता को देखते हुए CBI जांच के निर्देश दे दिए।
रावजी बाजार थाने में दर्ज हुई शिकायत
इतना ही नहीं, रावजी बाजार थाने में भी 20 मार्च 2023 को PNB की कोलकाता ब्रांच से जुड़ी इस कथित फर्जी बैंक गारंटी के खिलाफ शिकायत दर्ज है। इस पूरे घटनाक्रम ने ना सिर्फ तीर्थ गोपीकॉन लिमिटेड की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि 455 करोड़ की जमीन डील भी अब अधर में लटक गई है।
स्मार्ट सिटी ने नहीं दिया कब्जा
स्मार्ट सिटी के सीईओ दिव्यांक सिंह ने कहा है कि इस मामले के सामने आने के बाद अब स्मार्ट सिटी ने अपनी जमीन का कब्जा कम्पनी को नहीं दिया है। तीन साल के भीतर पूरा भुगतान करना कम्पनी की जिम्मेदारी है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि नए मामले की जांच करवाई जाएगी। इसके बाद अब प्रशासन भी फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है।
समीक्षा के बाद लेंगे निर्णय
कलेक्टर आशीष सिंह ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के तहत इस पूरे प्रकरण की विधिक समीक्षा करवाई जाएगी। इसके बाद सबकी नजरें CBI जांच पर टिकी हैं, जिससे तय होगा कि इस सौदे में हकीकत क्या है। यह जांच के बाद ही तय हो पाएंगा कि तीर्थ गोपीकॉन निर्दोष है या आरोपों में दम है?