मध्यप्रदेश सरकार ने राज्य के पटवारियों के लिए एक नई तबादला नीति लागू की है, जिससे अब ट्रांसफर प्रक्रियाएं नए दिशा-निर्देशों के तहत होंगी। यह पॉलिसी राज्य सरकार के राजस्व विभाग द्वारा विशेष रूप से तैयार की गई है, जिसमें कई अहम बदलाव शामिल हैं।
गृह जिले में नहीं मिलेगी पोस्टिंग
नई नीति के अनुसार, अब कोई भी पटवारी अपने गृह जिले में पदस्थापना नहीं पा सकेगा। यह नियम पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने के उद्देश्य से लागू किया गया है। इस फैसले का सीधा असर उन पटवारियों पर पड़ेगा जो अब तक अपने ही जिले में सेवाएं दे रहे थे।
आपराधिक मामलों में फंसे कर्मचारियों को राहत नहीं
जो पटवारी लोकायुक्त द्वारा दर्ज किसी भी आपराधिक मामले में संलिप्त हैं, उन्हें तबादले की सुविधा नहीं मिलेगी। ऐसे कर्मचारियों को तबादले के लिए आवेदन करने की अनुमति नहीं दी जाएगी, जिससे सरकारी सेवा में नैतिकता और जवाबदेही को बढ़ावा मिलेगा।
रिक्त पदों और आवेदन की अनिवार्यता
नई ट्रांसफर पॉलिसी में यह भी स्पष्ट किया गया है कि पटवारी को जिस जिले में स्थानांतरित किया जाना है, वहां रिक्त पद होना अनिवार्य होगा। साथ ही, पटवारी को अपने चुने हुए जिले में उपस्थिति देना अनिवार्य कर दिया गया है। बिना रिक्ति के ट्रांसफर की अनुमति नहीं दी जाएगी।
आरक्षण नियमों का पालन अनिवार्य
राजस्व विभाग ने यह सुनिश्चित किया है कि तबादले की पूरी प्रक्रिया में आरक्षण नियमों का सख्ती से पालन किया जाएगा। इससे सामाजिक न्याय और प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सकेगा।
तीन वर्षों के अंतराल के बाद फिर शुरू हुई ट्रांसफर प्रक्रिया
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में पिछली बार 2021-22 में ट्रांसफर पॉलिसी लागू की गई थी। उसके बाद से ट्रांसफर पर रोक लगी हुई थी। अब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में वर्ष 2025 के लिए नई ट्रांसफर पॉलिसी को लागू किया गया है। यह नीति सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा तैयार की गई है और कैबिनेट से इसकी स्वीकृति भी प्राप्त हो चुकी है।