पाकिस्तान के हुक्मरान यु तो खुद को पाक बताते है और जब भी उनसे आतंकी गतिविधियों को लेकर कोई भी सवाल पूछा जाता है। तो इस विषय पर वो अपना पल्ला झाड़ते हुए दिखाई देता है। लेकिन सच तो यही है की पाकिस्तान वर्षो से आतंकियों का अड्डा रहा है और आतंकवादियों को सालो से पनाह देते आया है । सच्च कितना भी छुपाया जाये सामने आ ही जाता है हाल ही में किए गए ऑपरेशन सिंदूर ने एक बार फिर दुनिया के सामने पाकिस्तान असली चेहरा दिखाई दिया। जी हा इस ऑपरेशन में “लश्कर-ए-तैयबा” के बड़े आतंकी अब्दुल रऊफ की जान गई जिसके बाद उसके जनाजे में पाकिस्तानी सेना के वरिष्ठ अधिकारियों भी दिखाई दिए जिससे यह साफ हो गया है कि पाकिस्तान में आतंकवादी संगठनों का संचालन सेना और खुफिया एजेंसी ISI के संरक्षण में होता है।
आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई बस एक ढोंग है
पाकिस्तान यु तो अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खुद को आतंकवाद का विक्टिम बताता है। साथ ही यह दावा भी करता रहा है कि वह आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रहा है। लेकिन कल की तस्वीरें कुछ ओर ही कहानी बयान कर रही थी अब्दुल रऊफ के जनाजे में पाकिस्तानी अधिकारियों की मौजूदगी इस बात का पुख्ता सबूत है कि पाकिस्तानी सेना खुद ही इन आतंकवादी संगठनों को जिहाद के नाम पर समर्थन और संसाधन मुहैया कराती है।
लश्कर-ए-तैयबा ,ISI का गहरा गठजोड़ और पाकिस्तान
लश्कर-ए-तैयबा का मुख्यालय पाकिस्तानी पंजाब में है, जो लाहौर से 30 किमी दूर है। आपको बता दे की लश्कर-ए-तैयबा वही संगठन है जिसने 2008 के मुंबई हमलों को अंजाम दिया था।यह संगठन कई संयुक्त राष्ट्र समेत कई देशों द्वारा प्रतिबंधित है।इस के बावजूद इस संगठन को पाकिस्तान की सरकार पनाह दे रही थी। 2008 से लेकर 2012 तक कई बार लश्कर और पाकिस्तान की ISI के बीच की नजदीकियों के कई प्रमाण सामने आए हैं।
भारत कर सकता है FATF के सामने सबूत पेश
भारत इस बार अब्दुल रऊफ के जनाजे में पाकिस्तानी अधिकारियों की मौजूदगी को FATF के सामने सबूत के रूप में पेश कर सकता है। भारत पाकिस्तान को FATF की ब्लैकलिस्ट में डालने की मांग कर सकता है, क्योंकि कल कि तस्वीरों से यह साफ हो गया है कि आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान की लड़ाई सिर्फ दिखावा है।