मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मप्र मंत्रिमंडल की महत्वपूर्ण बैठक सम्पन्न हुई। जिसमें कई ऐतिहासिक फैसले लिए गए। इस बार की मंत्रिमंडल बैठक में एक नया इतिहास रचा गया जिसके चलते अब एमपी की सरकार महाराष्ट्र की देवेन्द्र फडणवीस सरकार के साथ कई क्षेत्रो में साझा रुप से विकास के नए कदम उठाएंगी। प्रदेश की दिशा और दशा को नए आयाम देने के प्रयास किए जाएंगे। इसी के चलते मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने इन निर्णयों को आमजनता के साथ साझा किया।
मप्र और महाराष्ट्र का सांस्कृतिक संगम
मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के बीच ऐतिहासिक एमओयू पर मुहर लग गई है, जो दोनो राज्यों को सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक डोर में बांधेगा। अब दोनों राज्यों में साझा सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे, जिसमें साझा इतिहास और परंपराओं की झलक मिलेगी।
ज्योतिर्लिंगों को एक ‘सर्किट’ से जोड़ा जाएगा
महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में स्थित आस्था के केन्द्र विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंगों को एक ‘सर्किट’ से जोड़ा जाएगा। जिससे आस्था और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही वीरता की गाथाओं को डिजिटल स्वरूप में संरक्षित किया जाएगा। महापुरुषों के जीवन पर आधारित नृत्य-नाटिकाएं और फिल्में बनेंगी, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेंगी। महाराष्ट्र भी मप्र की राह पर पुणे के पास स्थित माता अहिल्या की जन्मस्थली में कैबिनेट बैठक का आयोजन करेगा।
महेश्वर की साडियों पर दोनो राज्य बढ़ाएंगे कदम
महेश्वर की विश्वविख्यात साड़ियों को एक नई उड़ान मिलने वाली है इसके चलते दोनों राज्य मिलकर इस उद्योग को सशक्त बनाएंगे। इसके साथ ही की अन्य बिंदुओं पर नई गाथा लिखी जाएंगी।
निवेश और विकास की नई लहर
14 मई को बेंगलुरु और 16 मई को इंदौर में निवेश बढ़ाने और औद्योगिक विस्तार के लिए भव्य आयोजन होंगे। इसी के चलते 20 मई को इंदौर में होने वाली अगली कैबिनेट बैठक में ‘विजन डॉक्यूमेंट @2047’ पर मंथन होगा। जिसमें मप्र के भविष्य की रूपरेखा पर गहन चर्चा की जाएगी। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ से आने वाले जंगली हाथियों के लिए विशेष रणनीति तैयार की जाएगी। हाथियों को नियंत्रित करने के लिए 47 करोड़ की राशि खर्च कर एक विशेषज्ञ रेस्क्यू टीम, प्रशिक्षित कर्मी और अत्याधुनिक व्यवस्थाएं तैयार की जाएंगी। इससे वन्यजीव संरक्षण को मजबूती मिलेगी और मानव-हाथी संघर्ष कम होगा।
9 लाख किसानों को मिला लाभ
मध्यप्रदेश को गेहूं उपार्जन में ऐतिहासिक सफलता मिली है इसके चलते 5 मई तक प्रदेश के 3 हजार 475 उपार्जन केंद्रों पर 9 लाख किसानों से गेंहूं खरीदा गया। अब तक किसानों को 18,471 करोड़ रुपए का भुगतान, शेष 400 करोड़ जल्द उनके खातों में भेजे जाएंगे।