मध्यप्रदेश का एक ऐसा किला जहां आप इतिहास के साथ प्रकृति का भी उठा सकेगे लुफ्त

मध्य प्रदेश का एक ऐसा किला जो सुंदर पहाड़ियों में बसा हुआ है। यह किला न केवल एक ऐतिहासिक धरोहर है, बल्कि यह प्रकृति प्रेमियों के लिए एक शानदार पर्यटक स्थल है। यह किला लगभग 2000 वर्षों पुराना माना जाता है। बता दे कि यह किला 560 एकड़ क्षेत्र में फैला है।

किले का इतिहास

बांधवगढ़ एक संस्कृत शब्द “बांधव” और “गढ़” से मिलकर बना है,जिसमे बांधव का अर्थ है “भाई और “गढ़” का अर्थ है किला। इसे भाई का किला भी कहा जाता है। लोक मान्यता के अनुसार इस किले को भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण को उपहार में दिया था। इसका उल्लेख कई प्राचीन ग्रंथों में मिलता है–जैसे नारद पंचरात्र और शिव पुराण।

यह किला माघ, वाकाटक, सेंगर, कलचुरी और बघेल जैसे कई राजवंशों की शासनकाल का साक्षी रहा है।सन 1635 में बघेल वंश के महाराजों ने इसे छोड़कर अपनी राजधानी रीवा को बना लिया था।

किले के कुछ मुख्य दर्शनीय स्थल

बांधवगढ़ सुरंग

यह सुरंग बांधवगढ़ को सीधे रीवा किले से जुड़ती है। यह सुरंग युद्ध के समय गुप्त मार्ग के रूप में उपयोग की जाती थी।

विष्णु प्रतिमा और चरण गंगा

किले के दक्षिण में भगवान विष्णु की 12 मीटर लंबी शेष शैया प्रतिमा स्थित है। ये एक चट्टान से तराशी गई है। इस प्रतिमा के चरणों से बहते जल को चरण गंगा कहते है।

प्राचीन मंदिर और जल टैंक

इस मंदिर में 11वीं शताब्दी के मंदिरों के खंडहर आज भी मौजूद है और यहा ज्वालामुखी चट्टानों से बने विशाल जल टैंक भी मौजूद हैं, जो इस के ऐतिहासिक वैभव को दर्शाता हैं।

बांधवगढ़ नेशनल पार्क

इस किले के चारों ओर बांधवगढ़ नेशनल पार्क फैला हुआ है। यह बांधवगढ़ नेशनल पार्क कई बाघों, हिरनों और बारहसिंघों सहित अनेक वन्यजीवों का निवास स्थान है। यह भारत के सर्वश्रेष्ठ टाइगर रिज़र्व में से एक है।

ताला गांव: स्थानीय संस्कृति का प्रतिबिंब

किले के पास स्थित ताला गांव पर्यटकों के लिए एक खास आकर्षण है। मिट्टी के घर, बैगा जनजाति की संगीत और नृत्य संस्कृति, और पारंपरिक जीवनशैली शहरी पर्यटकों के लिए एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करते हैं।