थार के रेतीले राजस्थान में फूटी थी जलधारा- अब प्रकट होगी “सरस्वती” , रहस्य सुलझाने में डेनमार्क बना साथी

क्या थार के तपते रेगिस्तान के नीचे सच में कोई प्राचीन नदी बह रही है? क्या जैसलमेर की सूखी धरती के गर्भ में छिपा है सरस्वती का गुप्त मार्ग?  इन सवालों के जवाब अब जल्द मिलने वाले हैं, क्योंकि अब इस रहस्य की परतें खोलने के लिए भारत और डेनमार्क की टीमें मिलकर एक बड़ा रिसर्च अभियान शुरू कर रही हैं। शायद आपको याद होगा, वो वाक्या जब हाल ही में जैसलमेर के कुछ इलाकों में अचानक जमीन से पानी की धार फूटने की खबरें आई थीं, जिससे वैज्ञानिक भी चौंक गए थे।

वैज्ञानिक सर्वें की हुई शुरूआत
जल संसाधन विभाग को शक है कि यह कोई सामान्य जलस्रोत नहीं, बल्कि प्राचीन सरस्वती नदी का कोई भूला-बिसरा पैलियो चैनल हो सकता है। इसके बाद सरकार ने इन क्षेत्रों में विस्तृत अध्ययन और वैज्ञानिक सर्वे का फैसला लिया।

खोज में उतरी हाई-टेक टीम
अब यह रहस्य और नहीं रहेगा, क्योंकि इस बार काम पूरी प्लानिंग के साथ पुरा होगा। जैसलमेर को फोकस में रखते हुए रिमोट सेंसिंग, जीआईएस तकनीक और भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण का सहारा लिया जाएगा। इस मिशन में डेनमार्क सरकार भी अहम भूमिका निभा रही है। हाल ही में ‘राइजिंग राजस्थान ग्लोबल समिट’ में भारत और डेनमार्क के बीच एक अहम एमओयू साइन हुआ है, जिसके तहत डेनमार्क के जल विशेषज्ञ इस रिसर्च में तकनीकी मदद देंगे।

बांधों में बढ़ेगी पानी की आवक
इस रिसर्च का एक बड़ा मकसद ये भी है कि जैसलमेर के तीन ऐतिहासिक बांध—गढ़ीसर, बड़ाबाग और अमरसागर/मूलसागर में स्वच्छ जल की आवक को कैसे बढ़ाया जाए। इसके लिए एक डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) तैयार की जाएगी, जिसमें हर पहलू की बारीकी से स्टडी होगी।

ऐसे चलेगा अभियान
यहां पर संभावित पैलियो चैनलों की पहचान की जा रही है।  जहां पर अंतर-बेसिन जल हस्तांतरण की संभावनाओं को टटोला जाएगा। इसके साथ ही रिमोट सेंसिंग और जीआईएस के ज़रिए विस्तृत सर्वे किया जाएगा। सभी विभाग मिलकर एक साझा रणनीति बनाएंगे।

इतिहास की गहराइयों में बहती हैं सरस्वती
हरियाणा में सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड की हालिया बैठक में तय हुआ है कि इस अभियान को और भी राज्यों तक फैलाया जाएगा। जो बातें अब तक सिर्फ पुराणों और जनश्रुतियों में थीं, उन्हें विज्ञान की आंखों से देखा जाएगा। जल्द ही यह साफ हो जाएगा कि जैसलमेर की रेत के नीचे कोई गुमशुदा नदी सो रही है, या फिर ये सिर्फ एक इत्तेफाक है। लेकिन इतना तय है कि यह खोज इतिहास, भूगोल और विज्ञान के संगम की एक रोमांचक कहानी लिखने जा रही है।