MP का एक ऐसा अनोखा किला जो सुनाता अंग्रेजो के खिलाफ संघर्ष की कहानी

मध्य प्रदेश का एक ऐसा किला जो अपनी भव्य स्थापत्य कला और प्राचीन इतिहास के लिए जाना जाता है। साथ ही यहां की प्राकृतिक सुंदरता भी पर्यटकों को अपनी ओर लुभाती है। बता दे की यह केवल पर्यटकों की पसंद ही नहीं बल्कि यहाँ कई हिंदी और बघेली फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है, जिनमें “बिदिया-बंदूक” जैसी फिल्में प्रमुख हैं।यह गढ़ी 1500 ईस्वी में राजा परमल देव ने बनवाई थी और आज भी इसकी दीवारों से इतिहास की गूंज सुनाई देती है।गढ़ी में भव्य प्रवेश द्वार, खूबसूरत नक्काशी, आयताकार दीवाने-खास और सुरक्षा के लिए बुर्ज भी बनाए गए है।

क्यूटी की गढ़ी और अंग्रेजो के खिलाफ संघर्ष :

इस किले का निर्माण राजा परमाल देव ने 1500 ई. में करवाया था।1857 में जब भारत अंग्रेजो के खिलाफ संघर्ष कर रहा था । तभी एक स्वतंत्रता सेनानी नेता ठाकुर रणमत सिन्हा केवटी किले के पास छिप गए थे।किले में एक मुठभेड़ के दौरान उन्होंने एक अंग्रेज अधिकारी को मार डाला था,जो उन्हें गिरफ्तार करने आया था। आखिर में उन्होंने महाराजा रघुराज सिंह के आग्रह पर आत्मसमर्पण कर दिया था। इसके बाद 1860 में उन्हें अंग्रेज अधिकारी की हत्या के लिए फांसी दी गई थी।

प्राकृतिक सौंदर्य

गढ़ी के ठीक पीछे बहता क्यूटी झरना , भैरव बाबा और राम-जानकी मंदिर जैसे सुन्दर स्थल इसकी सोभा ओर भी बढ़ा देते है । यहाँ से घाटी का मनमोहक दृश्य देखने को मिलता है, जो प्रकृति प्रेमियों और फोटोग्राफरों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

वर्तमान स्थिति

हालांकि, शासन-प्रशासन की उपेक्षा के कारण यह ऐतिहासिक धरोहर अब जर्जर अवस्था में पहुँच चुकी है। पुरातत्व विभाग द्वारा इसे संरक्षित घोषित किए जाने के बावजूद , इसकी मरम्मत और देखरेख ठीक से नहीं की जा रही है जिसके चलते गढ़ी का ढांचा लगातार क्षतिग्रस्त होता जा रहा है।