नौतपा के नौ दिन क्यों झुलसाती है धरती? जानिए कम गर्मी होने पर क्या हो सकते हैं नुकसान, ये है खगोलीय और वैज्ञानिक कारण

नौतपा हर साल मई के अंत और जून की शुरुआत में आने वाला ऐसा समय है जब सूर्य की तपन अपने चरम पर होती है। खगोलीय दृष्टि से यह वह अवधि होती है जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है, जो 25 मई से शुरू होकर 8 जून तक चलता है। इस दौरान पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी सबसे कम होती है। सूर्य की सीधी किरणें धरती पर गिरती हैं, खासकर मध्य भारत में, जिससे भीषण गर्मी महसूस होती है। वैज्ञानिकों के अनुसार, पृथ्वी अपनी कक्षा में घूमते हुए ऐसे बिंदु पर पहुंच जाती है जहाँ सूर्य की ऊर्जा सीधी और तीव्रता से गिरती है। हालांकि इसका नक्षत्रों से सीधा वैज्ञानिक संबंध नहीं है, लेकिन यह जरूर है कि इस समय पृथ्वी की सतह का तापमान सर्वाधिक होता है।

1. मई का मतलब गर्मी, लेकिन इस बार राहत क्यों?

मई का महीना आमतौर पर तपिश और लू के लिए जाना जाता है, लेकिन इस बार स्थिति थोड़ी अलग है। चक्रवातों और पश्चिमी विक्षोभ के कारण देश के कई हिस्सों में बारिश हुई, जिससे तापमान अपेक्षाकृत सामान्य बना हुआ है। हालांकि, इसके बीच अब लोगों को जिस चीज़ की चिंता सता रही है, वह है — नौतपा, यानी भीषण गर्मी के नौ दिन।

2. क्या होता है नौतपा?

नौतपा शब्द का अर्थ होता है नौ दिनों की तपन। यह वह समय होता है जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है और उसकी किरणें सीधे पृथ्वी पर गिरती हैं। इससे धरती का तापमान तेज़ी से बढ़ता है। इस साल (2025) नौतपा की शुरुआत 25 मई से होगी और ये 2 जून तक चलेगा।

3. ज्योतिषीय दृष्टिकोण से नौतपा

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है, तो धरती पर आग जैसी गर्मी महसूस होती है। सूर्य, रोहिणी नक्षत्र में करीब 15 दिन रहता है लेकिन पहले 9 दिन सबसे अधिक तीव्र गर्मी देते हैं। यही कारण है कि इन्हें नवताप या नौतपा कहा जाता है।

4. वैज्ञानिक क्या कहते हैं?

विज्ञान की नजर से देखा जाए तो इसका नक्षत्रों से कोई वास्तविक संबंध नहीं है। दरअसल, इस समय पृथ्वी की स्थिति सूर्य के काफी निकट होती है। इससे सूर्य की किरणें लगभग सीधी पृथ्वी पर गिरती हैं, जिससे तापमान बढ़ जाता है। वैज्ञानिक इसे पृथ्वी की कक्षा और सूर्य के बीच घटती दूरी का परिणाम मानते हैं।

5. नौ दिन ही क्यों होती है अधिक गर्मी?

खगोल विज्ञान के अनुसार, यह स्थिति साल में केवल एक बार आती है — जब पृथ्वी सूर्य के सबसे पास होती है और सूर्य के पीछे रोहिणी नक्षत्र आता है। यह विशेष स्थिति करीब 9 दिनों तक बनी रहती है। यही वजह है कि इन दिनों में सबसे अधिक गर्मी पड़ती है।

6. नौतपा का कृषि से संबंध

कृषि विज्ञान के अनुसार, नौतपा का समय खेती के लिए बेहद अहम माना जाता है। इस दौरान तेज गर्मी और लू के चलते खेतों में मौजूद हानिकारक कीट, चूहे और विषैले जीव स्वाभाविक रूप से समाप्त हो जाते हैं। यह स्थिति खरीफ फसल की तैयारी के लिए आदर्श होती है।

7. कहावतों में नौतपा का महत्व

ग्रामीण परंपरा में एक कहावत है:
“दोएमूसा, दोएकातरा, दोए तिड्डी, दोएताव।
दोयांरा बादी जळ हरै, दोए बिसर, दोए बाव।”
इसका अर्थ है कि यदि नौतपा में गर्मी और लू न चले तो चूहे, कीट, टिड्डी, बुखार और विषैले जीवों की भरमार हो सकती है, और आंधियों से फसल को नुकसान पहुंचेगा। यानी, नौतपा की गर्मी जितनी तीव्र होगी, किसान के लिए उतनी ही लाभकारी होगी।

8. अगर नौतपा में बारिश हो जाए तो?

यदि नौतपा के दिनों में बारिश हो जाती है, तो यह संकेत होता है कि आगामी मानसून कमजोर हो सकता है। इसके साथ ही खेतों में मौजूद कीटों और जीवों का प्रजनन चक्र पूरा हो जाता है, जिससे फसलों को अधिक नुकसान होता है। इसलिए पारंपरिक दृष्टिकोण से नौतपा में वर्षा को अच्छा संकेत नहीं माना जाता।

9. नौतपा में दान का महत्व

भारतीय संस्कृति में नौतपा के समय ठंडी और शीतल वस्तुएं दान करने की परंपरा है। सत्तू, छाता, पंखा, पानी का घड़ा, नारियल, सफेद वस्त्र, और आम जैसी चीजें इस दौरान दान में दी जाती हैं। इसका उद्देश्य है — गर्मी से परेशान जरूरतमंदों को राहत पहुंचाना।

10. जल दान क्यों जरूरी?

नौतपा के दौरान जल दान को पुण्य का कार्य माना जाता है। चिलचिलाती गर्मी में प्यास से राहत देने के लिए जगह-जगह प्याऊ लगवाना या राहगीरों को पानी पिलाना न केवल मानवीय कर्तव्य है, बल्कि इससे मानसिक शांति और सामाजिक सौहार्द भी बढ़ता है।

11. नौतपा में क्या न करें?

परंपराओं के अनुसार, नौतपा के दौरान भवन निर्माण, खुदाई, विवाह, सगाई, मुंडन और अन्य शुभ कार्य नहीं किए जाते। इसका वैज्ञानिक कारण यह है कि गर्मी के कारण शरीर पर बुरा असर पड़ सकता है, खासकर बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं पर। इसी वजह से यात्राएं भी इस समय टाली जाती हैं।

12. तप-साधना और आत्मसंयम की बात

नौतपा के नौ दिन आत्मचिंतन, ध्यान, और साधना के लिए भी माने जाते हैं। यह इसलिए कहा गया है ताकि लोग घर के भीतर रहें, मानसिक और शारीरिक रूप से संयम में रहें और गर्मी से बचाव हो सके। अत्यधिक गर्मी मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकती है, जिससे क्रोध, चिड़चिड़ापन और थकान बढ़ती है।