भारत में कोरोना के मामले फिर बढ़े, 20 राज्यों में मिले नए मरीज, जानिए कितनी गंभीर है स्थिति

लंबे समय तक अपेक्षाकृत शांत रहने के बाद, कोविड-19 फिर से रफ्तार पकड़ता नजर आ रहा है। देश के कई प्रमुख राज्य जैसे दिल्ली, महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में कोरोना के नए मामलों में तेज बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है।

दो नए वेरिएंट्स का खतरा

देश के लगभग 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कोरोना संक्रमण के नए मामले सामने आ रहे हैं। खासकर महाराष्ट्र के बड़े शहर जैसे मुंबई, पुणे और ठाणे प्रभावित हैं। वैज्ञानिकों ने वायरस के दो नए प्रकार – NB.1.8.1 और LF.7 – की पहचान की है, जो संक्रमण के फैलाव में इजाफा कर सकते हैं। विशेषज्ञ इन पर लगातार निगरानी और सतर्कता की सलाह दे रहे हैं।

सरकार की सक्रियता

कोरोना मामलों में इजाफे को देखते हुए केंद्र और राज्य सरकारों ने अलर्ट जारी कर दिया है। अस्पतालों को ऑक्सीजन सप्लाई, ICU बेड और जरूरी चिकित्सा संसाधनों के साथ पूरी तरह तैयार रहने का निर्देश दिया गया है। स्वास्थ्य विभाग स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहा है।

दिल्ली में संक्रमण की वापसी

तीन साल बाद दिल्ली में फिर से कोरोना के नए केस देखने को मिले हैं। हाल ही में यहां 23 नए मरीजों की पुष्टि हुई है। अच्छी बात यह है कि अधिकतर संक्रमितों में लक्षण बहुत हल्के हैं और किसी को गंभीर हालत में भर्ती नहीं करना पड़ा।

कर्नाटक और महाराष्ट्र में जानलेवा मामले

कर्नाटक में एक बुजुर्ग व्यक्ति की कोरोना संक्रमण से मृत्यु हुई, जो पहले से अन्य बीमारियों से ग्रसित थे। महाराष्ट्र के ठाणे जिले में भी 21 वर्षीय एक युवक की कोविड संक्रमण के चलते जान चली गई, जिसे कालवा अस्पताल में इलाज के दौरान मृत घोषित किया गया।

केरल में सबसे अधिक संक्रमण

मई महीने में केरल में कोविड संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं, जहां अब तक 273 लोग संक्रमित हो चुके हैं। वहीं, कर्नाटक में भी मामूली उछाल के साथ 35 केस रिपोर्ट हुए हैं।

मुंबई और तमिलनाडु में बढ़ती चिंता

मुंबई में मई के दौरान 95 नए केस दर्ज किए गए हैं, जो राज्य के कुल मामलों का बड़ा हिस्सा हैं। तमिलनाडु में भी इसी माह 66 नए मरीज सामने आए हैं, जिससे राज्य की स्वास्थ्य सेवाएं सतर्क हो गई हैं।

दक्षिण एशिया में मामलों में तेजी

पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र में कोविड-19 मामलों में अचानक बढ़ोतरी देखी जा रही है। विशेषज्ञ इसका मुख्य कारण ओमिक्रॉन सब-वेरिएंट JN.1 को मानते हैं। हालांकि, अभी तक विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे खतरे की सूची में नहीं रखा है।

JN.1 वेरिएंट के लक्षण

JN.1 से संक्रमित व्यक्तियों में लक्षण हल्के और सामान्य रूप से चार दिन में ठीक हो जाने वाले होते हैं। इसमें आमतौर पर बुखार, थकावट, नाक बहना, सिरदर्द, गले में खराश और कमजोरी जैसे लक्षण पाए जाते हैं।

भारत में प्रमुख वैरिएंट्स की स्थिति

फिलहाल भारत में JN.1 सबसे प्रमुख स्ट्रेन है, जो जांचे गए नमूनों में करीब 53% हिस्सेदारी रखता है। इसके बाद BA.2 (26%) और अन्य ओमिक्रॉन वैरिएंट्स (20%) का स्थान है।

गंभीरता कम, सतर्कता जरूरी

हालांकि NB.1.8.1 और LF.7 जैसे नए वैरिएंट्स के फैलने की आशंका है, फिर भी अब तक इनके कारण गंभीर बीमारी या अस्पताल में भर्ती की पुष्टि नहीं हुई है। अधिकांश मामलों में लक्षण हल्के और सामान्य सर्दी जैसे ही देखे गए हैं, लेकिन सावधानी बरतना जरूरी है।