चीन की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में हड़कंप, इस कारण मची अफरातफरी, भारत को होगा ये प्रॉफिट

चीन की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में इन दिनों एक गहरा संकट छाया हुआ है। दुनिया के सबसे बड़े कार बाजार में प्राइस वॉर यानी कीमतों की जंग ने उथल-पुथल मचा दी है। यह स्थिति तब और गंभीर हो गई जब देश की प्रमुख इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनी BYD ने अपने सबसे सस्ते मॉडल सीगल हैचबैक की कीमत में जबरदस्त कटौती कर दी। अब इस गाड़ी की शुरुआती कीमत लगभग $10,000 से घटाकर $7,765 कर दी गई है।

कीमतों में कटौती से बढ़ी चिंता, कंपनियों के शेयरों में गिरावट

BYD के इस कदम ने चीन की ऑटो इंडस्ट्री में हलचल मचा दी है। अन्य कंपनियाँ इस कीमतों की दौड़ से परेशान हैं और उन्होंने खुलकर चिंता जाहिर की है। सोमवार को हांगकांग शेयर बाजार में BYD के शेयर 8.6% तक गिर गए, जबकि गीली ऑटो में 9.5% और नियो, लीपमोटर जैसी कंपनियों में 3% से 8.5% तक की गिरावट दर्ज की गई। यह साफ संकेत है कि चीनी कंपनियों के लिए यह प्राइस वॉर भारी घाटे का सौदा बनता जा रहा है।

आंतरिक धोखाधड़ी से भी बढ़ी परेशानी

कीमतों की लड़ाई के साथ-साथ फर्जी बिक्री रिकॉर्ड ने भी ऑटो सेक्टर की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। रिपोर्ट के अनुसार, कुछ डीलर और ऑटो निर्माता कंपनियाँ सिर्फ टारगेट पूरा करने के लिए नई कारों को पहले ही रजिस्टर करा देती हैं, फिर उन्हें ‘यूज्ड’ के रूप में डिस्काउंट पर बेचती हैं। इससे ग्राहकों को भले ही कम कीमत पर कार मिल जाए, लेकिन बाजार की पारदर्शिता और संतुलन पर असर पड़ता है।

कंपनियों की हालत खस्ता, कई बंद होने की कगार पर

जाटो डायनेमिक्स की रिसर्च बताती है कि चीन में काम कर रही 169 ऑटो कंपनियों में से आधी से ज्यादा के पास 0.1% से भी कम बाजार हिस्सेदारी है। पहले जो फीचर्स महंगे मॉडल में मिलते थे, वे अब बेस मॉडल में ही मिलने लगे हैं। कई कंपनियाँ अब लागत से भी कम कीमत पर गाड़ियाँ बेच रही हैं, जिससे फेयर कॉम्पिटिशन लगभग खत्म हो रहा है। चीन के स्टेट प्लानर ने भी हाल ही में इस अनियंत्रित प्रतिस्पर्धा को लेकर चिंता जताई थी।

भारत के लिए सुनहरा मौका

चीन की ऑटो इंडस्ट्री में पैदा हुई अस्थिरता भारत के लिए एक अवसर का दरवाज़ा खोल सकती है। जैसे-जैसे विदेशी कंपनियाँ चीन से बाहर अपने ऑपरेशन्स को शिफ्ट करने पर विचार कर रही हैं, वैसे-वैसे भारत एक संभावित विनिर्माण हब के रूप में उभर रहा है। भारत में सस्ता श्रम, स्थिर राजनीतिक माहौल और मजबूत उपभोक्ता बाजार जैसी सुविधाएं मौजूद हैं, जो वैश्विक कंपनियों को आकर्षित कर सकती हैं।

भारतीय ऑटो और EV इंडस्ट्री को मिलेगा बढ़ावा

अगर चीन में उत्पादन में कटौती होती है, तो इससे ग्लोबल सप्लाई चेन पर असर पड़ेगा और भारतीय ऑटो पार्ट्स और EV कंपोनेंट निर्माताओं के लिए नए अवसर सामने आ सकते हैं। भारत की स्थानीय कंपनियाँ चीन की इस कमजोरी का लाभ उठाकर अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपनी पकड़ मजबूत बना सकती हैं।