प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वदेशी अपनाने की अपील के बाद, स्वदेशी जागरण मंच ने पूरे देश में ‘स्वदेशी, सुरक्षा और स्वावलंबन’ अभियान शुरू करने की योजना बनाई है। यह पहल आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को मजबूत करने और देशवासियों में स्वदेशी उत्पादों के प्रति विश्वास जगाने के उद्देश्य से शुरू की जा रही है।
ऑपरेशन सिंदूर: आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय सुरक्षा का प्रतीक
स्वदेशी जागरण मंच ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता पर बधाई दी है और इसे देश की रक्षा नीति में एक ऐतिहासिक कदम बताया है। मंच के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने कहा कि इस ऑपरेशन से भारतीय सेना की क्षमता और सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति दुनिया के सामने आई है। साथ ही, ‘मेक इन इंडिया’ अभियान की रक्षा क्षेत्र में सफलता को भी रेखांकित किया गया है।
शत्रु देशों से व्यापार नहीं: चीन से आयात पर भी पुनर्विचार की जरूरत
मंच ने उन देशों से व्यापारिक संबंधों को सीमित करने या समाप्त करने के निर्णय का समर्थन किया है जो भारत के विरोधियों का समर्थन करते हैं। मंच का कहना है कि युद्ध जैसी स्थिति में शत्रु देशों को आर्थिक लाभ देना देशहित में नहीं है। उन्होंने चीन से हो रहे भारी आयात को लेकर भी चिंता जताई और सरकार से इस पर पुनर्विचार की मांग की।
प्रधानमंत्री का आह्वान: गांव-गांव में स्वदेशी की शपथ
प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात के गांधीनगर में आयोजित एक सभा में कहा कि हर गांव के व्यापारी को विदेशी वस्तुएं न बेचने की प्रतिज्ञा लेनी चाहिए। मंच ने इसे देश के लिए आवश्यक और व्यावहारिक कदम बताया है। उन्होंने चिंता जताई कि ई-कॉमर्स, गलत लेबलिंग और बिचौलियों के माध्यम से विदेशी वस्तुएं आज भी देश में आ रही हैं, जो आत्मनिर्भर भारत के मार्ग में बाधा बन रही हैं।
स्वदेशी अभियान के उद्देश्य और दिशा
स्वदेशी जागरण मंच द्वारा शुरू किया जा रहा यह राष्ट्रव्यापी अभियान निम्नलिखित उद्देश्यों को लेकर आगे बढ़ेगा:
- स्वदेशी उत्पादों पर गर्व और विश्वास बढ़ाना
- विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार के लिए जनजागरण
- युवाओं, स्टार्टअप्स और महिलाओं को आत्मनिर्भरता से जोड़ना
- अनुसंधान संस्थानों को स्वदेशी तकनीकों के विकास के लिए प्रेरित करना
- व्यापारियों से विदेशी वस्तुओं की बिक्री से परहेज करने की प्रतिज्ञा लेना
2047 तक विकसित और आत्मनिर्भर भारत का सपना
मंच ने देश के व्यापारियों, उद्योगपतियों और शिक्षाविदों से प्रधानमंत्री के आह्वान को गंभीरता से लेने और 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में कार्य करने की अपील की है।