उज्जैन के महाकाल मंदिर में इस बार श्रावण महोत्सव का रंग कुछ खास होने वाला है। 20वें वर्ष में प्रवेश कर रहा यह महोत्सव अब तक का सबसे भव्य रूप से होगा । बताया जा रहा है कि इस बार यह आयोजन पूरे 40 दिनों तक चलेगा। जिसमें कला, संस्कृति और श्रद्धा का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा। यह उत्सव 11 जुलाई से शुरू होने जा रहा यह महोत्सव केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि शास्त्रीय गीत, संगीत और नृत्य की त्रिवेणी से सजी शामों का गवाह महाकाल का आंगन बनेगा। महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति इसे एक अखिल भारतीय सांस्कृतिक उत्सव के रूप में प्रस्तुत करने की तैयारियों में जुट गई है।
महाकाल के आंगन में लहराएंगे- सुर, ताल और भाव
इस बार आयोजन के लिए मंदिर परिसर में विशेष शिखर दर्शन स्थल बनाया जा रहा है। यहां पर देशभर के कलाकार प्रस्तुति देंगे। सावन की रिमझिम फुहारों के बीच, महाकाल के प्रांगण में जब सुर, ताल और भाव लहराएँगे, तो हर शाम एक नई आध्यात्मिक अनुभूति लेकर आएगी। इसके साथ ही हर कलाकार का सपना है कि वह अपनी कला का प्रदर्शन महाकाल के चरणों में प्रस्तुत करके अपनी आस्था को भी व्यक्त करना चाहते है।जिस प्रकार तानसेन समारोह, खजुराहो उत्सव और कालिदास समारोह ने अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की है, उसी पंक्ति में अब श्रावण महोत्सव भी शुमार हो चुका है। हर उभरते और स्थापित कलाकार की यह लालसा रहती है कि उन्हें इस मंच पर प्रस्तुति देने का अवसर मिले। इसलिए इस बार आयोजन समिति नवोदित से लेकर प्रख्यात कलाकारों को एक मंच पर लाने का संकल्प कर चुकी है। कला को संजोने और कलाकारों को सम्मान देने के उद्देश्य से प्रारूप में बड़ा बदलाव किया गया है।
कलाकारों के आवेदन ने तोड़ा रिकार्ड
श्रावण महोत्सव के 20वें आयोजन के लिए मंदिर समिति ने देशभर से कलाकारों के आवेदन आमंत्रित किए थे। जिसमें निर्धारित समय सीमा के अंदर 250 से अधिक कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों के लिए आवेदन भेज कर रिकार्ड तोड़ दिया हैं। अगर आयोजन 40 दिन तक चलता है, तो बड़ी संख्या में इन कलाकारों को महाकाल के दरबार में अपनी कला प्रस्तुती देने का सौभाग्य मिलेगा।