अपनो से परेशान कांग्रेस, राहुल कर रहे ‘संगठन सृजन अभियान’ से भीतरघातियों की खोज

मध्यप्रदेश की राजनीतिक में जमीन तलाश रही कांग्रेस अब अपने संगठन को फिर से मजबूत करने का प्रयास कर रही है। कांग्रेस लंबे समय से वनवास के बाद एक बार फिर सत्ता की ओर कदम बढ़ाने की तैयार कर रही है। इसी सिलसिले में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को भोपाल में ‘संगठन सृजन अभियान’ की धमाकेदार शुरुआत की।

नई रणनीति का किया ऐलान
राहुल गांधी का भोपाल दौरा सिर्फ एक दौरा नहीं, बल्कि कांग्रेस की नई रणनीति का ऐलान है। जिसके माध्यम से कांग्रेस, एक नया नेतृत्व और नई ऊर्जा से काम करने का संदेश अपने कार्यक्रताओं को देना चाहती है। इसलिए इस वर्ष कांग्रेस पार्टी ने साल 2025 को ‘संगठन वर्ष’ घोषित किया है। जिसमें मध्य प्रदेश को इसके मॉडल स्टेट के रूप में चुना गया है।

राहुल के 5 घंटे, 3 अहम बैठकें

Sangthan Srujan Abhiyan में

राहुल गांधी का भोपाल आगमन किसी नेता का सामान्य दौरा नहीं है। इस दौरे के साथ ही कांग्रेस अपने भविष्य की बुनियाद रखने जैसा  कदम उठा रही है । भोपाल एयरपोर्ट से कांग्रेस कार्यालय तक बनाए गए 52 स्वागत द्वार इस बात के गवाह बने कि पार्टी एक नए आत्मविश्वास से भर चुकी है। यहां राहुल गांधी सबसे पहले प्रदेश कांग्रेस कार्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने राजनीतिक मामलों की समिति के साथ बैठक की। इस दौरान कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, जीतू पटवारी, उमंग सिंघार और हरीश चौधरी जैसे दिग्गज नेता मौजूद रहे। इसके बाद राहुल ने सांसदों और विधायकों के साथ सीधी बातचीत की और फिर केंद्रीय पर्यवेक्षकों व प्रदेश प्रभारियों की संयुक्त बैठक में संगठन सृजन अभियान की विस्तृत रणनीति पर मंथन हुआ।

युवाओं को सौंपी जा रही कमान
राहुल गांधी के इस दौरे का सबसे बड़ा संकेत है कि पार्टी में पीढ़ी परिवर्तन किया जा रहा है। जीतू पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष, उमंग सिंघार को नेता प्रतिपक्ष और हेमंत कटारे को उपनेता बनाकर कांग्रेस ने यह पहले ही साफ कर दिया था लेकिन राहुल गांधी ने अपने बयान में दो टूक कहा कि पार्टी में भीतरघात करने वाले ‘विभीषणों’ को चिन्हित किया जाएगा। यह बयान उन नेताओं के लिए साफ चेतावनी है जो चुनावों से ऐन पहले पार्टी छोड़कर चले गए या अंदर ही अंदर नुकसान पहुंचाते रहे।
कांग्रेस पूरे प्रदेश में अभियान चलाकर बताएगी कि जाति आधारित जनगणना का मुद्दा राहुल गांधी ने सबसे पहले उठाया और सरकार को इस दिशा में झुकने को मजबूर होना पड़ा। यही नहीं, संगठन सृजन अभियान के दौरान कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को ये संदेश देंगे कि कांग्रेस ही असली जनसंवेदना की पार्टी है।
कांग्रेस का रवींद्र भवन सभागार में एक बड़ा अधिवेशन आयोजित हुआ, जिसमें एआईसीसी, पीसीसी, जिला और ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्षों ने भाग लिया। यह अधिवेशन न सिर्फ रणनीति तय करने का मंच था, बल्कि कांग्रेस की एकजुटता और नवनिर्माण का ऐलान भी है। नया नेतृत्व, नया तेवर और राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस मध्य प्रदेश में वापसी की तैयारी में है। यह अभियान 23 सालों से सत्ता से दूर कांग्रेस को फिर से शिखर पर पहुंचा पाएगा? यह वक्त तय करेगा, लेकिन आज की तस्वीर उम्मीद से भरी है।