बिना झंझट मिलेगा सस्ता गोल्ड लोन, 2.5 लाख तक के लोन पर RBI ला सकता है बड़ी राहत

अगर आप भी अपने ज़रूरत के समय में सोना गिरवी रखकर लोन लेने की सोच रहे हैं, तो आपके लिए बड़ी खुशखबरी है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अब गोल्ड लोन से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव करने जा रहा है, जिससे लाखों आम लोगों को सीधा फायदा मिलेगा। मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद प्रेस से बातचीत करते हुए आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने साफ संकेत दिए कि गोल्ड लोन को लेकर प्रस्तावित नई गाइडलाइंस जल्द ही नियम बनकर लागू हो सकती हैं। खासतौर पर 2.5 लाख रुपये तक के गोल्ड लोन लेने वालों के लिए यह राहत सबसे अधिक असरदार साबित होगी।

देश में इस समय सरकारी और निजी बैंक से लेकर नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां (NBFCs) गोल्ड लोन की सुविधा देती हैं, लेकिन इनमें統 एक समानता नहीं है। इसी असमानता को दूर करने के लिए RBI ने कुछ समय पहले गोल्ड लोन के लिए एक मसौदा तैयार किया था। इस ड्राफ्ट पर सरकार ने भी अपने सुझाव दिए थे, जिन्हें अब गाइडलाइंस में शामिल करने की बात कही गई है। आरबीआई जल्द ही इन नियमों को अंतिम रूप देकर अधिसूचित कर सकता है।

2.5 लाख रुपये तक का गोल्ड लोन अब पहले से ज्यादा मिलेगा और सस्ता भी होगा

नई गाइडलाइंस के तहत अब 2.5 लाख रुपये तक का गोल्ड लोन लेने वाले ग्राहकों को उनके सोने की कुल कीमत का 85 प्रतिशत तक लोन के रूप में मिल सकेगा। खास बात यह है कि इस 85 प्रतिशत में ब्याज दर भी शामिल होगी। पहले के मसौदे में यह लिमिट 75 प्रतिशत थी, लेकिन उसमें ब्याज अलग से जोड़ा जाता था, जिससे आमतौर पर लोगों को सोने की वैल्यू का केवल 65 फीसदी तक ही लोन मिल पाता था। अब नया नियम यह सुनिश्चित करेगा कि ग्राहक को ब्याज सहित अधिकतम वैल्यू मिले, जिससे उन्हें आर्थिक राहत अधिक मिल सके।

सोने की मिल्कियत साबित करने के लिए इनवॉयस जरूरी नहीं

गोल्ड लोन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए आरबीआई ने गिरवी रखे गए सोने की ओनरशिप को लेकर भी स्पष्टीकरण दिया है। अगर ग्राहक के पास खरीदारी की रसीद या इनवॉयस नहीं है, तो वे एक साधारण अंडरटेकिंग (स्वघोषणा) देकर भी लोन ले सकेंगे। इससे उन लोगों को सहूलियत मिलेगी, जिनके पास पुराने गहनों की खरीदारी से जुड़े कागज़ात मौजूद नहीं हैं।

पुराने सभी सर्कुलरों को समेटकर तैयार हो रहा है नया नियम

आरबीआई गवर्नर ने यह भी बताया कि नई गाइडलाइंस असल में समय-समय पर जारी किए गए पुराने सर्कुलरों को समेटकर एकीकृत रूप में पेश करने की कोशिश है। हालांकि यह अभी मसौदा है और इसे अंतिम नियम तब ही माना जाएगा जब इसे नोटिफाई कर दिया जाएगा। इसके बाद ही यह सभी बैंकों और एनबीएफसी पर लागू होगा।