अगर आप घर या कार खरीदने की योजना बना रहे हैं, पहले से किसी लोन की ईएमआई चुका रहे हैं या नया लोन लेने की सोच रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए काफी फायदेमंद हो सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस वर्ष की तीसरी मौद्रिक नीति समीक्षा में बड़ी राहत देते हुए रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट (0.50%) की कटौती की है, जिससे अब यह दर 6% से घटकर 5.50% हो गई है।
रेपो रेट में तीसरी बार कटौती, सीधे मिलेगा लोन में फायदा
आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा द्वारा घोषित इस निर्णय के बाद लगातार तीसरी बार रेपो रेट में गिरावट दर्ज की गई है। रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को अल्पकालिक ऋण प्रदान करता है। इसकी सीधी मार आम जनता की होम और कार लोन की ईएमआई पर पड़ती है। रेपो रेट में गिरावट का मतलब है, अब बैंक भी सस्ती दरों पर ऋण देंगे, जिससे आपकी मासिक किस्तें कम होंगी।
EMI पर असर: 2000 रुपए तक की बचत संभव
इस साल अब तक कुल 100 आधार अंकों की कटौती की जा चुकी है। इस बदलाव के बाद होम लोन की ब्याज दरें एक बार फिर 7.5% से नीचे आ सकती हैं। उदाहरण के तौर पर, यदि कोई व्यक्ति 30 लाख रुपए का होम लोन 20 वर्षों के लिए लेता है, तो उसकी मासिक किस्त (EMI) में करीब 2000 रुपये तक की कमी आ सकती है। इससे मिडल क्लास और लोन धारकों को सीधा आर्थिक लाभ मिलेगा।
कैश रिज़र्व रेशियो (CRR) में भी राहत
रेपो रेट के साथ-साथ आरबीआई ने कैश रिज़र्व रेशियो (CRR) में भी 100 आधार अंकों की कटौती की है। यह दर अब घटकर 3% रह गई है, जबकि पहले यह 4% थी। CRR वह रकम होती है जो बैंक अपनी कुल जमा राशि में से रिजर्व बैंक के पास नकद के रूप में रखते हैं। इसमें कमी आने का मतलब है, बैंकों के पास अब अधिक पूंजी उपलब्ध होगी, जिसे वे आम लोगों को लोन देने में इस्तेमाल कर सकेंगे।
बैंक रेट और SDF में भी कटौती
इसके अलावा, आरबीआई ने स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (SDF) को घटाकर 5.25% और बैंक रेट को 5.75% कर दिया है। इसका फायदा यह होगा कि अब बैंक पहले की तुलना में ज्यादा सरलता से आरबीआई से उधारी ले सकेंगे। इससे लिक्विडिटी यानी तरलता बढ़ेगी, जिससे मार्केट में पूंजी का प्रवाह तेज होगा।
महंगाई काबू में, ग्रोथ को मिलेगा बढ़ावा
RBI का यह कदम देश की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखकर लिया गया है। वर्तमान में महंगाई दर 4% से नीचे है और जीडीपी ग्रोथ दर भी संतोषजनक स्तर पर बनी हुई है। ऐसे में रेपो रेट में कमी से बाजार में उपभोग (consumption) बढ़ेगा, जिससे आर्थिक गतिविधियों को गति मिलेगी और विकास दर में भी इज़ाफा होगा।