जस्टिस यादव विवाद : मुसलमानों को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी मामले में जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव लाने पर कपिल सिब्बल ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने पूछा कि सभापति धनखड़ ने इस पर कोई कदम क्यों नहीं उठाया। सिब्बल का कहना है कि सरकार जज को बचा रही है और यह टिप्पणी सांप्रदायिक थी। उन्होंने कहा कि जस्टिस वर्मा के मामले में जांच हुई, लेकिन यादव के मामले में रोक लगाई गई, जो पक्षपात दर्शाता है।
सरकार जज का समर्थन कर रही
कपिल सिब्बल ने सवाल उठाया कि जब महाभियोग प्रस्ताव अभी तक स्वीकार नहीं हुआ है, तो राज्यसभा अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक जांच में दखल क्यों दिया। उन्होंने कहा कि जस्टिस शेखर यादव का बयान सांप्रदायिक था और सुप्रीम कोर्ट को इस पर फैसला लेना चाहिए था। सिब्बल को लगता है कि सरकार उन्हें बचाना चाहती है और कार्रवाई को टालकर उन्हें सेवानिवृत्ति तक पहुंचाना चाहती है।
राज्यसभा ने सुप्रीम कोर्ट को भेजा ज्ञापन
सिब्बल ने कहा कि राज्यसभा सचिवालय ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र भेजा है जिसमें कहा गया है कि यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लंबित है, इसलिए कोर्ट को अपनी आंतरिक कार्रवाई फिलहाल रोक देनी चाहिए।
छह महीने से केवल दस्तखत का सत्यापन
कपिल सिब्बल ने कहा कि 13 दिसंबर 2024 को हमने राज्यसभा के सभापति को महाभियोग का नोटिस दिया था, जिस पर 55 सांसदों ने दस्तखत किए थे। छह महीने हो गए हैं, लेकिन अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया। क्या बड़े पदों पर बैठे लोगों की जिम्मेदारी सिर्फ दस्तखत जांचने तक ही रहती है? क्या इसमें छह महीने लगने चाहिए? क्या सरकार शेखर यादव को बचाने की कोशिश कर रही है?