अगर आपको कोई कहे कि एक 400 साल पुराना किला ऐसा भी है जहां आज के ज़माने के AC भी फीके पड़ जाएं, तो शायद आप यकीन न करें। लेकिन मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में छतरपुर जिले के धुबेला गांव में स्थित शीतलगढ़ी (Sheetal Garhi) में ये बात पूरी तरह सच है। यह ऐतिहासिक किला ना सिर्फ अपनी ठंडक के लिए मशहूर है, बल्कि इसकी अनोखी बनावट, गुप्त सुरंगें और शाही वास्तुकला आज भी लोगों को हैरान कर देती है।
इतिहास से जुड़ी खास बात
शीतलगढ़ी का निर्माण 17वीं सदी में महाराजा छत्रसाल के नाती दीवान कीरत सिंह द्वारा करवाया गया था। दीवान कीरत सिंह, छत्रसाल के बेटे जगत सिंह के पुत्र थे। इस दो मंजिला गढ़ी का मकसद था — गर्मियों में शाही परिवार को शांति और ठंडक प्रदान करना और साथ ही किसी भी हमले की स्थिति में एक सुरक्षित ठिकाना तैयार करना।
अंदर घुसते ही मिलती है ठंडी हवा
इस गढ़ी की सबसे खास बात यह है कि भीषण गर्मी में भी इसके अंदर ठंडक बनी रहती है। यह ठंडक किसी मशीन की देन नहीं, बल्कि उस समय के स्थापत्य विज्ञान और प्राकृतिक एयरफ्लो डिज़ाइन का कमाल है। दीवारों की मोटाई, ऊंची छतें, सीमित खिड़कियां और पत्थरों का चुनाव — ये सब मिलकर एक नेचुरल एसी जैसा असर देते हैं।
गुप्त सुरंगों का रहस्य
इतिहासकारों के अनुसार, ये सुरंगें उस समय आपात स्थिति में हथियारों और सैनिकों की आवाजाही के लिए बनाई गई थीं। सुरंगें महल के अंदर तक जाती थीं और बाहर तक निकास भी देती थीं। आज भी जब लोग इन सुरंगों और तहखानों को देखते हैं, तो हैरान रह जाते हैं कि उस समय भी इतनी रणनीतिक सोच कैसे थी!
बुंदेली कला का बेजोड़ नमूना
गढ़ी के अंदर की दीवारें और छतें पत्तेदार नक्शों, मेहराबों और कलात्मक नक्काशियों से सजी हैं, जो उस दौर की बुंदेली कला और शिल्पकला की समृद्धि को दर्शाती हैं। भले ही अब इमारत धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील हो रही है, लेकिन उसकी शान और रचना आज भी ज़िंदा है।