House Rent New Rule: मध्य प्रदेश सरकार किराया विवादों को सुलझाने और मकान मालिकों व किरायेदारों के अधिकार सुनिश्चित करने के लिए नया किरायेदारी कानून लागू करने जा रही है। यह नया कानून “मॉडल टेनेंसी एक्ट” (MTA) शहरी और ग्रामीण, दोनों क्षेत्रों में लागू होगा। यह पुरानी व्यवस्था की तुलना में अधिक पारदर्शी और संतुलित मानी जा रही है।
विधि विभाग से मंजूरी, अब कैबिनेट के एजेंडे में मॉडल टेनेंसी एक्ट
नए किरायेदारी कानून के मसौदे को विधि विभाग से हरी झंडी मिल चुकी है। इसे अब मुख्य सचिव की अध्यक्षता में वरिष्ठ सचिवों की समिति के समक्ष रखा जाएगा। वहां से स्वीकृति के बाद इसे राज्य मंत्रिमंडल की आगामी बैठक में पेश किया जाएगा। सरकार का लक्ष्य है कि यह कानून विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पारित कर दिया जाए।
किराया विवादों के निपटारे को मिलेगी न्यायिक मजबूती, बनेगी त्रिस्तरीय व्यवस्था
मॉडल टेनेंसी एक्ट के तहत राज्य में तीन स्तर की संस्थाएं बनाई जाएंगी — किराया प्राधिकरण, किराया न्यायालय और किराया ट्रिब्यूनल। इससे छोटे से लेकर बड़े विवादों का चरणबद्ध समाधान तेज़ी से हो सकेगा, और अंतिम निर्णय के बाद ही मामला सिविल कोर्ट तक पहुंचेगा।
किराया प्राधिकरण से लेकर ट्रिब्यूनल तक, ऐसे होगी विवाद सुलझाने की प्रक्रिया
प्राधिकरण का प्रमुख अपर कलेक्टर होगा जो समझौतों के पंजीकरण और प्राथमिक विवाद समाधान का कार्य करेगा। न्यायालय की अध्यक्षता ADM करेंगे और ट्रिब्यूनल का नेतृत्व अतिरिक्त जिला न्यायाधीश या जिला न्यायाधीश करेंगे। ये सभी लोक सेवक माने जाएंगे।
पुराना कानून सीमित, नया कानून व्यापक – अब गांवों तक पहुंचेगा किरायेदारी अधिकार
वर्तमान में लागू मध्य प्रदेश परिसर किरायादारी अधिनियम-2010 सिर्फ शहरों तक सीमित है। लेकिन प्रस्तावित मॉडल एक्ट ग्रामीण इलाकों में भी लागू होगा, जिससे गांवों में भी मकान मालिक अपनी संपत्ति किराए पर देने में झिझक महसूस नहीं करेंगे।
अब नहीं मिलेगी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को छूट, सब पर लागू होंगे एक जैसे नियम
नए कानून में एक बड़ा बदलाव यह है कि अब आयोग, अंतरराष्ट्रीय संस्थान और MNCs के किरायेदारों को भी नियमों के दायरे में लाया जाएगा। अब इन संस्थाओं को विशेष छूट नहीं मिलेगी, जिससे किरायेदारी नियमों में समानता सुनिश्चित होगी।
संपत्ति मालिक या किरायेदार की मृत्यु के बाद भी लागू रहेगा किराया कानून
यदि किसी किरायेदार या मकान मालिक की मृत्यु हो जाती है, तो उनके उत्तराधिकारी नए किरायेदारी कानून के तहत अधिकार व दायित्व संभालेंगे। इससे वारिसों को संपत्ति और किरायेदारी से जुड़े मामलों में स्पष्टता और सुरक्षा मिलेगी।
प्रॉपर्टी एजेंट्स को मिलेगी वैधानिक पहचान, तय होंगी जिम्मेदारियां
इस एक्ट के तहत अब प्रॉपर्टी डीलरों को कानूनी दायरे में लाया जाएगा। उन्हें कलेक्ट्रेट में पंजीकरण कराना होगा और उन पर गलत जानकारी देने या भ्रामक सौदे के लिए कानूनी कार्रवाई की जा सकेगी। इससे एजेंट्स की भूमिका ज़िम्मेदार और पारदर्शी बनेगी।
बिना इजाज़त बदलाव पर लगाम, किरायेदार को देना होगा मुआवजा या होगा बेदखल
अगर कोई किरायेदार मकान में कोई बदलाव करता है या अतिरिक्त निर्माण करता है और मकान मालिक की लिखित अनुमति नहीं लेता, तो उस पर कानूनी कार्रवाई हो सकेगी। मकान मालिक को हुए नुकसान की भरपाई किराया या डिपॉज़िट से की जाएगी।
तय हुई एडवांस किराए की सीमा, अब नहीं ले पाएंगे मनमाना अमाउंट
नई व्यवस्था के तहत अब आवासीय संपत्तियों पर दो महीने से अधिक और व्यावसायिक परिसरों पर छह महीने से अधिक का अग्रिम किराया नहीं लिया जा सकेगा। यह नियम किरायेदारों की आर्थिक सुरक्षा और निष्पक्षता को ध्यान में रखकर बनाया गया है।
मकसद: किरायेदारी व्यवस्था में भरोसा, पारदर्शिता और संरक्षण
मध्य प्रदेश सरकार का उद्देश्य है कि इस एक्ट के ज़रिए मकान मालिक और किरायेदार दोनों को एक न्यायसंगत और सुरक्षित प्रणाली उपलब्ध हो। साथ ही, निवेशकों और कॉर्पोरेट्स के लिए भी किरायेदारी को सरल और भरोसेमंद बनाना इस बदलाव का प्रमुख लक्ष्य है।