जैसे ही बारिश का मौसम आता है, मच्छर जनित बीमारियों जैसे डेंगू और मलेरिया के मामले बढ़ने लगते हैं। इन्हीं बीमारियों से लोगों को बचाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने मिलकर एक बड़ा कदम उठाया है। इस दिशा में प्रदेश के चार जिले – हरदा, आगर-मालवा, विदिशा और शाजापुर – अब मलेरिया मुक्त हो चुके हैं। यह एक बड़ी सफलता मानी जा रही है।
अब सरकार का लक्ष्य है कि बाकी जिलों के गांवों में भी मलेरिया को पूरी तरह खत्म किया जाए। इसके लिए एंबेड परियोजना (EMBED Project) और फैमली हेल्थ इंडिया के सहयोग से एक विशेष अभियान 1 जुलाई से शुरू किया जा रहा है।
15 जिलों के हर गांव में एक-एक वॉलिंटियर भेजा जाएगा
अभियान के तहत प्रदेश के 15 जिलों के हर गांव में एक-एक वॉलिंटियर भेजा जाएगा। ये वॉलिंटियर गांवों में जाकर लोगों को मच्छर जनित बीमारियों के प्रति जागरूक करेंगे। अगर किसी इलाके में मच्छर के लार्वा पाए जाएंगे तो वहां हर हफ्ते सफाई और नियंत्रण का काम किया जाएगा। इन 15 जिलों में शिवपुरी, श्योपुर, ग्वालियर, दतिया, भिंड, मुरैना, विदिशा, भोपाल, जबलपुर, नीमच, रीवा, सीधी, बालाघाट, सिवनी और इंदौर शामिल हैं।
कैसे मिली अब तक की सफलता?
मलेरिया कम होने की एक बड़ी वजह यह रही कि स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम और एंबेड परियोजना ने मिलकर जागरूकता अभियान चलाया। इसमें स्कूल, कॉलेज के छात्र, सामाजिक संगठनों और धर्मगुरुओं की भी मदद ली गई। एंबेड परियोजना के डॉक्टर संतोष भार्गव ने बताया कि पहले यह प्रयोग बालाघाट जिले में किया गया था, और वहां मलेरिया के केस काफी घट गए। इसी अनुभव को ध्यान में रखते हुए अब इसे बाकी जिलों में लागू किया जा रहा है।