1962 से देश में रह रहे चीनी सैनिक को देश छोड़ने का नोटिस- 46 साल बिना वीजा रहा परिवार

मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले में एक चौका देने वाला मामला सामने आया है। यहां के तिरोड़ी में पिछले 63 साल से बसे 86 वर्षीय पूर्व चीनी सैनिक वांग ची की उलझन अब बढ़ गई है। दरअसल, विगत महीनों में भारत-चीन के संबंधो में तनाव के साथ ही भारत-पाक के बीच पैदा हुए तनाव के बाद सरकार ने वांग ची उर्फ राजबहादुर को नोटिस भेजकर उनका वीजा खत्म कर दिया है।
यह चीनी सैनिक पिछले 63 सालों से भारत में वीजा के साथ रहते हुए यहीं बस गया। बड़े आश्चर्य की बात है कि यह चीनी सैनिक होने के बाद भी भारत में ही बसने की इच्छा रखते है। यह भारत की नागरिकता लेने का प्रयास करते रहे लेकिन फिलहाल इनका वीजा रद्द कर दिया गया है।

भारत- चीन युद्ध में कर ली थी सीमा पार  
1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान रास्ता भटककर भारत पहुंचे वांग ची को वर्षों तक कैदी बनाकर रखा गया था। चीनी सैनिक वांग ची की उम्र उस समय 23 वर्ष थी जब वह 1962 के युद्ध के बाद गलती से अरुणाचल प्रदेश की सीमा में प्रवेश कर गए। वहां उन्हें भारतीय सेना ने पकड़ लिया। जिसके बाद उन्हें जासूसी के आरोप में विभिन्न जेलों में रखा गया

अजमेर, दिल्ली, चंडीगढ़, भोपाल, जबलपुर और बालाघाट और 1969 तक कैद में रहे। बालाघाट जेल से रिहा होने के बाद कोर्ट के आदेश पर उन्हें तिरोड़ी में बसने की अनुमति दी गई और सरकार ने उन्हें व्यापार, मकान आदि की सुविधाएं देने का वादा किया, लेकिन आज तक कोई वादा पूरा नहीं हुआ। लेकिन अब, वीजा नवीनीकरण की प्रक्रिया और आर्थिक बोझ ने उनके जीवन को फिर कठिन बना दिया है।

सरकारी योजनाओं से वंचित
वांग ची के नाती-पोते आज तक जाति प्रमाण पत्र नहीं बनवा पाए हैं। इनके बेटे विष्णु के अनुसार, उनका प्रमाण पत्र उनकी मां की जाति के आधार पर तो बन गया, लेकिन उनके बच्चों का नहीं बन पा रहा है। इसके कारण परिवार को सरकारी योजनाओं का कोई लाभ नहीं मिल रहा है। वीजा संकट के कारण ही वांग ची 2021 में अपने भाई और 2023 में अपनी बहन की मृत्यु पर चीन नहीं जा सके। उनका सपना है कि वह अपने देश चीन फिर से जा सकें और शांति से जीवन बिताएं।

बिना वीजा 48 साल, अब हर 6 महीने पर परेशानी
वांग ची ने तिरोड़ी में शादी की और यहीं उनका परिवार बढ़ा। उन्होंने राजबहादुर नाम से एक नई पहचान बनाई। 1969 से 2017 तक उन्होंने बिना वीजा के भारत में जीवन बिताया, लेकिन उसके बाद सरकार ने पहली बार वीजा जारी किया। अब हर 6 महीने में वीजा नवीनीकरण करवाना पड़ता है, जिसमें 12 से 15 हजार रुपये का खर्च आता है। उनके बेटे विष्णु वांग का कहना है कि पिछले पांच साल में वीजा पर ही 1.5 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं। इस बीच सरकार ने उन्हें भारत छोड़ने का नोटिस भेज दिया है, जिससे पूरा परिवार बेचैन है। विष्णु ने कलेक्टर मृणाल मीना से मुलाकात कर 5 साल का मल्टी एंट्री वीजा देने की मांग की है।