कहीं आपका गुस्सा आपको अंदर से खत्म तो नहीं कर रहा? डॉक्टर ने खोले राज़, जानकर हैरान हो जाएंगे आप

अगर जरा-सी बात पर माथे की नसें तन जाती हैं, आवाज ऊंची हो जाती है और दिल जोर-जोर से धड़कने लगता है, तो यह केवल गुस्सैल मिजाज नहीं, बल्कि आपकी सेहत के लिए एक छुपा हुआ खतरा हो सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, बार-बार और बेवजह गुस्सा आना सिर्फ मानसिक तनाव का संकेत नहीं है, बल्कि यह दिल की बीमारी, हाई ब्लड प्रेशर, डिप्रेशन और कमजोर इम्यून सिस्टम जैसी गंभीर बीमारियों को भी जन्म दे सकता है।

डॉ. सुधीर शेयर की  कहानी 

हैदराबाद के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर कुमार ने हाल ही में एक्स (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट में दो दोस्तों की कहानी साझा की, जो इस बात को बखूबी समझाती है। अरुण और रवि (बदले हुए नाम) बचपन के दोस्त थे और दोनों की ज़िंदगी में कई उतार-चढ़ाव आए। अरुण एक होशियार और महत्वाकांक्षी इंसान था, लेकिन उसमें एक कमी थी. वह किसी की गलती या अपमान को भूल नहीं पाता था। गुस्सा और दुख उसके भीतर ही सुलगते रहते थे। यही अंदरूनी तनाव धीरे-धीरे उसकी सेहत पर भारी पड़ने लगा।

48 की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते अरुण को हाई ब्लड प्रेशर, बार-बार सिरदर्द, थकावट और फिर हल्का हार्ट अटैक आया। जब उसकी मेडिकल जांच की गई तो शरीर में तनाव के संकेतक (जैसे कॉर्टिसोल और CRP) सामान्य से काफी ज्यादा पाए गए। ये संकेत लंबे समय से चल रहे इमोशनल तनाव की तरफ इशारा करते थे।

वहीं रवि की कहानी एकदम अलग थी

वहीं रवि की कहानी एकदम अलग थी। उसने भी जिंदगी में कई मुश्किलें झेली, लेकिन उसने अपने गुस्से और इमोशन्स को सही तरीके से संभालना सीखा। वह नियमित रूप से जर्नल लिखता था, ध्यान और प्रार्थना करता था और आत्मचिंतन से खुद को शांत रखता था। इसका नतीजा ये रहा कि 50 की उम्र में भी उसकी सेहत एकदम फिट रही। उसका ब्लड प्रेशर सामान्य था, नींद अच्छी थी और दिल की सेहत एक युवा जैसी थी।

डॉक्टर की चेतावनी

डॉ. सुधीर का कहना है कि “माफ करना” किसी और के लिए नहीं, बल्कि खुद को मानसिक आज़ादी देने का तरीका है। गुस्सा एक साधारण भावना नहीं, बल्कि धीरे-धीरे शरीर को भीतर से बीमार करने वाला ज़हर है। उनके इस संदेश ने इंटरनेट पर काफी चर्चा बटोरी और लोगों ने कमेंट करके कहा कि अब वे अपनी इमोशनल हेल्थ को भी उतनी ही प्राथमिकता देंगे जितनी फिजिकल हेल्थ को देते हैं।