अब गजराज भी होंगे हाई-टेक! मध्य प्रदेश में हाथियों का बनेगा ‘आधार कार्ड’, जानिए कैसे मिलेगा ये खास पहचान पत्र!

मध्य प्रदेश के मंडला जिले में स्थित कान्हा टाइगर रिजर्व (Kanha Tiger Reserve) एक नई और अनोखी पहल को लेकर सुर्खियों में है। यहां अब इंसानों की तरह पालतू हाथियों को भी पहचान पत्र यानी “आधार कार्ड” दिया जाएगा। हालांकि यह कार्ड पारंपरिक आधार कार्ड जैसा नहीं होगा, बल्कि इसमें डीएनए प्रोफाइलिंग और माइक्रोचिपिंग जैसी उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा।

क्या है यह योजना?

इस योजना के तहत फिलहाल 16 पालतू हाथियों को शामिल किया गया है, जिन्हें कान्हा टाइगर रिजर्व में वन विभाग की देखरेख में रखा गया है। भारत सरकार के तहत कार्यरत भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII), देहरादून द्वारा देशभर के सभी विभागीय और पालतू हाथियों की डीएनए प्रोफाइलिंग की जा रही है। इसका मकसद हाथियों को एक विशिष्ट पहचान संख्या देना है, जो इंसानों के आधार कार्ड जैसी ही होगी।

डीएनए प्रोफाइलिंग और माइक्रोचिपिंग कैसे होगी?

इस प्रक्रिया के तहत प्रत्येक हाथी से सिरिंज के जरिए खून लिया जाएगा। यह खून लैब में डीएनए टेस्ट के लिए भेजा जाएगा, जिससे हाथी की आनुवंशिक पहचान (Genetic Identity) तैयार की जाएगी। इसके बाद हर हाथी को एक माइक्रोचिप दी जाएगी, जो उनके शरीर में लगाया जाएगा। यह चिप उनकी ट्रैकिंग और पहचान में बेहद कारगर साबित होगी।

इस पहल की ज़रूरत क्यों पड़ी?

जब हाथी जंगल में होते हैं या अगर उनकी तस्करी हो जाए, तो उनकी पहचान करना काफी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में डीएनए प्रोफाइलिंग और माइक्रोचिपिंग जैसी तकनीकी पहल बहुत काम आती है। इससे हर हाथी को एक अलग पहचान मिलती है। इससे अवैध तस्करी रोकने, स्वास्थ्य की निगरानी, प्रजनन रिकॉर्ड रखने और आपात स्थिति में पहचान करने में आसानी होती है। यह तरीका हाथियों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए एक बड़ा कदम है।

भविष्य के लिए बड़ा कदम

कान्हा टाइगर रिजर्व की यह पहल वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक मॉडल प्रोजेक्ट के तौर पर देखी जा रही है। भविष्य में यह प्रणाली अन्य राष्ट्रीय उद्यानों और रिजर्व में भी लागू की जा सकती है। इससे न केवल हाथियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि यह पूरे वन्यजीव प्रबंधन को भी तकनीकी रूप से सशक्त बनाएगा।