गर्मी का मौसम आते ही शहरों में लोग पंखा, कूलर और एसी चलाकर खुद को राहत देने की कोशिश करते हैं। लेकिन मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के कुछ गांवों में आज भी ऐसे घर मौजूद हैं जहां इन सब चीजों की जरूरत ही नहीं पड़ती। यहां के लोग बिना पंखे के भी चैन की नींद सोते हैं और बिना फ्रिज के ही सब्जियां ताजा रख लेते हैं।
रामपुर गांव की अनोखी मिसाल
रामपुर गांव की रहने वाली 65 साल की केशकली बताती हैं कि उनका घर 40 साल पुराना है और आज भी वैसा ही ठंडा और आरामदायक है जैसे पहले दिन था। इस घर को मिट्टी से बनाया गया था, जिसमें 1 मीटर मोटी दीवारें हैं। इसके अलावा छत लकड़ी के सहारे बनाई गई है और यह दोहरी परत वाला घर है।
कैसे खास हैं ये घर?
इन कच्चे घरों की मोटी दीवारें गर्मी को अंदर नहीं आने देतीं और घर के भीतर ठंडक बनाए रखती हैं। इसके चलते न तो एसी की ज़रूरत होती है, न ही कूलर या पंखे की। यहां तक कि गर्मियों की दोपहर में भी घर के अंदर तापमान ठंडा बना रहता है। यही कारण है कि यहां के लोग रात में बिना पंखे के आराम से सो जाते हैं।
बिना फ्रिज सब्जी भी नहीं खराब होती
केशकली बताती हैं कि इन घरों में सब्जियां और खाने की दूसरी चीजें कई दिनों तक खराब नहीं होतीं। मिट्टी से बने इन घरों का तापमान इस कदर नियंत्रित रहता है कि फ्रिज की जरूरत ही नहीं पड़ती।
सादा जीवन, ठंडी राहत
आज के समय में जहां कंक्रीट और सीमेंट के घर गर्मी को और बढ़ा देते हैं, वहीं ये पुराने मिट्टी के घर गर्मी को मात दे रहे हैं। न बिजली का झंझट, न बिल का डर।
इन घरों को देखकर एक बात तो तय है – पुराने समय के लोग भले ही तकनीक से दूर थे, लेकिन उनकी समझ और अनुभव आज की सबसे बड़ी गर्मी से राहत देने वाला उपाय साबित हो रहा है।