मध्य प्रदेश बीजेपी को नया अध्यक्ष कब मिलेगा? 45 साल में पहली बार इतना लंबा इंतजार!

मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नए प्रदेश अध्यक्ष के चयन को लेकर अब भी सस्पेंस बना हुआ है। पांच महीने बीत चुके हैं, लेकिन अब तक पार्टी ने यह तय नहीं किया है कि अगली कमान किसे सौंपी जाएगी। जनवरी 2025 में ही नए अध्यक्ष की घोषणा होनी थी, लेकिन अब जून भी खत्म होने को है और नाम तय नहीं हो पाया है। ऐसे में कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच बेचैनी बढ़ रही है।

बीजेपी के इतिहास में ये पहली बार

बीजेपी के इतिहास में ये पहली बार है जब इतने लंबे समय तक प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति टलती जा रही है। पार्टी के अंदर कई दमदार नेता इस पद के लिए दावेदार माने जा रहे हैं, लेकिन आलाकमान की ओर से अभी तक कोई संकेत नहीं दिया गया है। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को एमपी अध्यक्ष चयन की जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन उन्होंने अब तक प्रदेश का दौरा तक नहीं किया है। इससे यह कयास और तेज हो गए हैं कि शीर्ष नेतृत्व अभी किसी एक नाम पर सहमत नहीं हो पाया है।

जुलाई में नए अध्यक्ष की घोषणा

सूत्रों की मानें तो जुलाई में नए अध्यक्ष की घोषणा हो सकती है, ताकि संसद के मानसून सत्र से पहले पार्टी संगठन को मजबूती दी जा सके। बीजेपी के लिए यह नियुक्ति बेहद अहम मानी जा रही है, क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद संगठन में नई ऊर्जा भरने की जरूरत महसूस की जा रही है।

मध्य प्रदेश में 45 साल का लंबा

बीजेपी का मध्य प्रदेश में 45 साल का लंबा इतिहास रहा है। 1980 में सुंदरलाल पटवा पहले प्रदेश अध्यक्ष बने थे। उनके बाद कैलाश जोशी, शिवप्रसाद चिनपुरिया, लखीराम अग्रवाल, लक्ष्मीनारायण पांडे, विक्रम वर्मा, शिवराज सिंह चौहान, नरेन्द्र सिंह तोमर, प्रभात झा, नंदकुमार सिंह चौहान, राकेश सिंह और फिर वीडी शर्मा जैसे नेता यह जिम्मेदारी निभा चुके हैं।

वीडी शर्मा 2020 से अब तक प्रदेश अध्यक्ष

वीडी शर्मा 2020 से अब तक प्रदेश अध्यक्ष हैं और उनका कार्यकाल लगातार बढ़ता जा रहा है। पार्टी नियमों के मुताबिक, एक व्यक्ति को अधिक समय तक अध्यक्ष बनाए रखना असामान्य माना जाता है, लेकिन इस बार आलाकमान की चुप्पी के चलते हर दिन नई अटकलें लग रही हैं।

अब सबकी निगाहें जुलाई पर

अब सबकी निगाहें जुलाई पर हैं, जब यह उम्मीद की जा रही है कि बीजेपी आलाकमान मध्य प्रदेश को नया अध्यक्ष दे सकता है। तब तक पार्टी के कार्यकर्ताओं को इंतजार करना ही होगा कि आखिर ये बड़ी जिम्मेदारी किसके हाथों में जाती है।