International Yoga Day: आज 21 जून को 11वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस देशभर में बड़े उत्साह के साथ मनाया गया। पहाड़ी क्षेत्रों से लेकर रेगिस्तानी इलाकों तक, हर कोने में योगाभ्यास के कार्यक्रम आयोजित किए गए। विशेष बात यह रही कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में विशाखापत्तनम में आयोजित भव्य योग सत्र में लगभग तीन लाख लोगों ने एक साथ योग किया।
नेताओं ने अलग-अलग शहरों में किया योग अभ्यास
इस मौके पर देश के कई वरिष्ठ नेताओं ने भी विभिन्न स्थानों पर योग किया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अहमदाबाद में योग किया, जबकि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में योग कार्यक्रम में भाग लिया। इससे यह स्पष्ट होता है कि योग आज केवल व्यक्तिगत नहीं बल्कि राष्ट्रीय जागरूकता का प्रतीक बन चुका है।
पीएम मोदी ने दिया योग को वैश्विक आंदोलन बनाने का संदेश
राष्ट्रीय कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “योग का मूल अर्थ होता है जोड़ना। आज यह देखकर संतोष होता है कि योग ने पूरी दुनिया को एक सूत्र में बांधा है।” उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग’ को एक वैश्विक संकल्प बनाया जाए।
योग को बनाएं जीवनशैली का हिस्सा: पीएम मोदी
अपने संबोधन के अंत में पीएम मोदी ने लोगों से यह आह्वान किया कि, “आइए, हम सब मिलकर योग को एक जन आंदोलन बनाएं।” उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति की सुबह योग से शुरू हो और हर समाज योग से जुड़े ताकि एक स्वस्थ, तनावमुक्त और सामूहिक संतुलन की दिशा में हम आगे बढ़ सकें।
खाने में तेल कम करने का दिया चैलेंज
प्रधानमंत्री ने स्वस्थ जीवनशैली की ओर कदम बढ़ाने का संदेश देते हुए बताया कि उन्होंने ‘10% तेल कम करने का चैलेंज’ शुरू किया था, जिससे मोटापे जैसी वैश्विक समस्याओं से निपटा जा सके। उन्होंने लोगों से इस चुनौती को स्वीकार कर इसे व्यवहार में लाने की अपील की।
योग पर रिसर्च में जुटे मेडिकल संस्थान
पीएम मोदी ने यह भी बताया कि भारत आज योग को केवल आध्यात्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी मजबूत करने में जुटा है। देश के प्रमुख मेडिकल और शोध संस्थान योग पर अनुसंधान कर रहे हैं ताकि इसे आधुनिक चिकित्सा पद्धति में भी उचित स्थान मिल सके।
योग से मिलती है आंतरिक और सामाजिक शांति
प्रधानमंत्री ने अपने अंतरराष्ट्रीय संदेश में कहा कि आज का युग तनाव और अशांति से जूझ रहा है। ऐसे में योग न केवल स्वास्थ्य का मार्ग है, बल्कि यह शांति और सह-अस्तित्व की ओर भी एक कदम है। उन्होंने भारतीय संस्कृति का हवाला देते हुए कहा, “सर्वे भवन्तु सुखिनः यानी सभी का कल्याण ही सच्ची सेवा है।”