विदेशों तक छाया है योग का जादू, वेलनेस टूरिज्म का है भारत में बड़ा कारोबार

आज 21 जुन को पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है। योग को लेकर जहां भारत प्राचिन काल से इसके महत्व को जानता है यहीं भारत के योग को विदेशी लोगों ने भी अपनाना शुरू कर दिया है। सबसे रोमांचित करने वाली बात यह है कि अब हमारे भारत देश का योग एक बिजनेस का रूप ले रहा है। योग से कई गंभीर बिमारियों में राहत मिलती है जिसके चलते भारत में अब वेलनेस टूरिज्म को बढ़ावा मिल रहा है जिसके चलते विदेशों से बड़ी संख्या में लोग यहां आकर योग सीख रहे है।

81.7 अरब डॉलर तक पहुंचा योग का कारोबार
योग की ग्लोबल ब्रांडिंग से देशभर में वेलनेस टूरिज्म को लगातार बढ़ावा मिल रहा है।  देश में नई अर्थव्यवस्था बन रही है जिसका माध्यम योग है।  भारत में योग और ध्यान सेवा बाजार 2025 समाप्त होने तक 81.7 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना जताई गई है।
2035 तक यह आंकड़ा बढ़कर 155.2 अरब डॉलर हो सकता है। यह क्षेत्र हर साल लगभग 6.6 प्रतिशत की दर से बढ़ेगा। इमर्जिंग मार्केट रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबित, 2024 से 2032 के बीच ग्लोबल योग मार्केट हर साल 9 प्रतिशत की दर से वृद्धि कर सकता है। वर्ष 2023 में इसका वैश्विक आकार 115.43 अरब डॉलर था, जो 2032 तक बढ़कर 250.70 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।
इक्वेंटिंस की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में वेलनेस मार्केट की वैल्यू 490 अरब रुपए है, जिसमें योग स्टूडियो और फिटनेस सेंटर 40 फीसदी हिस्सा रखते हैं। अगले तीन साल में यह बाजार 20 फीसदी की रफ्तार से बढ़कर 875 अरब रुपए तक पहुंचने की उम्मीद है।

मोदी सरकार ने दिया है योग को बढ़ावा
भारत की प्राचीन ध्यान योग परंपरा ने देश ही नहीं, दुनिया को भी नई इंडस्ट्री दी है। मोदी सरकार की ओर से योग की ग्लोबल ब्रांडिंग से देश में नई अर्थव्यवस्था खड़ी हुई है। भारत ने योग को एक सॉफ्ट पॉवर के रूप में दुनिया के सामने पेश करने में सफलता हासिल की है। मोदी सरकार की पहल पर दुनिया ने 2015 से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाना शुरू किया, तब से भारत का वैश्विक स्तर पर कद बढ़ा है। कर्नाटक, केरल, गोवा, हिमाचल, उत्तराखंड जैसे क्षेत्र योग-पर्यटन के प्रमुख केंद्र बन चुके हैं, जहां विदेशी नागरिक भारत की प्राचीन चिकित्सा और योग परंपराओं का लाभ लेने आ रहे हैं। योग की लोकप्रियता ने इससे जुड़े उत्पादों योगा मैट, कुशन, परिधान आदि की मांग भी तेजी से बढ़ाई है। अब कई कंपनियां इन उत्पादों को रिसाइकिल्ड मैटेरियल से बना रही हैं, जिससे यह क्षेत्र सर्कुलर इकोनॉमी को भी मजबूती दे रहा है। इससे न केवल पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ रही है, बल्कि कारोबार को भी नई राहें मिल रही है।