राहुल गांधी : चुनाव आयोग ने मतदान केंद्रों की वेबकास्टिंग फुटेज सार्वजनिक करने की मांग पर कड़ा रुख अपनाया है। आयोग के अधिकारियों ने कहा कि ऐसा करना मतदाताओं की निजता और सुरक्षा का उल्लंघन होगा। उन्होंने बताया कि यह मांग दिखने में मतदाता हितैषी लग सकती है, लेकिन इसका मकसद उल्टा है। अधिकारियों ने कहा कि सीसीटीवी फुटेज से मतदाताओं की पहचान उजागर हो सकती है और असामाजिक लोग उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं। यह जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और 1951 और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के भी खिलाफ है। इसलिए ऐसी फुटेज को सार्वजनिक करना ठीक नहीं है और ऐसा करना सुरक्षित भी नहीं माना जा सकता।
वेबकास्टिंग विवाद पर चुनाव आयोग ने उदाहरण देकर रखा पक्ष
चुनाव आयोग ने उदाहरण देकर समझाया कि अगर किसी राजनीतिक दल को किसी बूथ पर कम वोट मिलते हैं, तो वह सीसीटीवी फुटेज देखकर यह पहचान सकता है कि किसने वोट दिया और किसने नहीं। इसके बाद वह लोगों को परेशान या धमका सकता है। आयोग ने कहा कि वे 45 दिनों तक यह फुटेज अपने पास रखते हैं, लेकिन यह केवल आंतरिक प्रबंधन के लिए होता है। यह कोई जरूरी प्रक्रिया नहीं है, बल्कि चुनाव याचिका दायर करने की तय समय-सीमा की वजह से किया जाता है।
विपक्ष का आरोप जारी, चुनावी पारदर्शिता पर उठाए सवाल
यह टिप्पणी कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की उस मांग के जवाब में आई है, जिसमें उन्होंने 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शाम 5 बजे के बाद मतदान केंद्रों की सीसीटीवी फुटेज जारी करने की बात कही थी। पिछले साल दिसंबर में सरकार ने एक चुनाव नियम में बदलाव किया था, जिससे सीसीटीवी, वेबकास्टिंग फुटेज और उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे दस्तावेजों को सार्वजनिक न किया जा सके। इसका मकसद था कि इनका गलत इस्तेमाल न हो।