नोबेल पुरस्कार दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित और सम्मानजनक पुरस्कारों में से एक है। यह पुरस्कार उन लोगों को दिया जाता है जिन्होंने विज्ञान, साहित्य, शांति या अर्थशास्त्र जैसे क्षेत्रों में असाधारण योगदान दिया हो। इस पुरस्कार की शुरुआत साल 1901 में हुई थी और इसका श्रेय जाता है अल्फ्रेड बर्नहार्ड नोबेल को, जो डायनामाइट के आविष्कारक थे। उनकी मृत्यु के बाद उनकी वसीयत के अनुसार उनके द्वारा छोड़ी गई संपत्ति से इस पुरस्कार की स्थापना की गई।
किन-किन क्षेत्रों में दिया जाता है नोबेल पुरस्कार?
नोबेल पुरस्कार छह क्षेत्रों में दिया जाता है. जिसमें से भौतिकी, रसायन विज्ञान, शरीर क्रिया विज्ञान या चिकित्सा, साहित्य, शांति और अर्थशास्त्र। ये पुरस्कार उन लोगों को दिए जाते हैं, जिन्होंने इन क्षेत्रों में असाधारण योगदान दिया हो। हालांकि, अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार शुरुआत से शामिल नहीं था। इसकी स्थापना 1968 में स्वीडन के सेंट्रल बैंक ने अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में की थी। बाकी पांच पुरस्कार अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत के अनुसार 1901 से दिए जा रहे हैं। नोबेल पुरस्कार दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित सम्मान में से एक माना जाता है। हालांकि, अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार मूल नोबेल पुरस्कारों का हिस्सा नहीं था। इसकी शुरुआत 1968 में स्वीडन के सेंट्रल बैंक ने की थी।
कब और कैसे दिया जाता है ये पुरस्कार?
हर साल 10 दिसंबर को नोबेल पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं। यह तारीख इसलिए चुनी गई है क्योंकि इसी दिन अल्फ्रेड नोबेल का निधन हुआ था। पुरस्कार पाने वालों को एक स्वर्ण पदक, एक डिप्लोमा और एक नकद राशि दी जाती है। खास बात यह है कि यदि किसी पुरस्कार को एक से अधिक लोगों को दिया जाता है तो नकद राशि को उनके बीच बांटा जाता है।
कितनी होती है नकद राशि?
साल 1901 में जब पहला नोबेल पुरस्कार दिया गया था, तब इसकी पुरस्कार राशि 150,782 स्वीडिश क्रोना (SEK) थी, जो आज के हिसाब से लगभग 13.5 लाख रुपये के बराबर है।
वहीं, साल 2023 में यह रकम बढ़कर 11 मिलियन SEK यानी लगभग 8.1 करोड़ रुपये हो गई थी। यह राशि हर साल थोड़ी बदल सकती है और यह स्वीडिश क्रोना की वैल्यू पर भी निर्भर करती है।
भारत के पहले नोबेल विजेता
भारत के पहले नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर थे, जिन्हें साल 1913 में साहित्य के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार मिला था। इसके बाद मदर टेरेसा, अमर्त्य सेन, कैलाश सत्यार्थी जैसे कई भारतीयों को भी यह पुरस्कार मिल चुका है।