केंद्र सरकार के अधीन आने वाले कर्मचारियों और पेंशन प्राप्तकर्ताओं के लिए महंगाई भत्ते (DA) से जुड़ी एक अहम खबर है। जनवरी 2025 से अप्रैल 2025 के बीच के ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (AICPI) के आंकड़ों के अनुसार, महंगाई भत्ता फिलहाल 57.47% तक पहुंच गया है। इसके आधार पर कयास लगाए जा रहे हैं कि दूसरी छमाही में DA में अच्छी-खासी बढ़ोतरी हो सकती है।
इस बार DA में संभावित है 3% या उससे अधिक की वृद्धि
जानकारों का मानना है कि इस बार महंगाई भत्ता 3% या उससे अधिक बढ़ाया जा सकता है। अगर ऐसा हुआ तो सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) के तहत कर्मचारियों का डीए सीधे 58% तक पहुंच सकता है। फिलहाल सरकार द्वारा इसका औपचारिक ऐलान जुलाई से पहले नहीं किया जाएगा क्योंकि अभी कुछ महीने के आंकड़े आने बाकी हैं, जिन्हें भी अंतिम गणना में शामिल किया जाएगा।
डीए संशोधन का शेड्यूल और प्रक्रिया
मौजूदा ट्रेंड के अनुसार, डीए में संशोधन का निर्णय जुलाई में तय हो सकता है, लेकिन अंतिम मंजूरी और भुगतान की प्रक्रिया आमतौर पर सितंबर या अक्टूबर तक पूरी होती है। इसकी वजह यह है कि वित्त मंत्रालय को सभी जरूरी आंकड़े जुलाई के अंत तक प्राप्त होते हैं, जिसके बाद भीतरी चर्चाएं और कैबिनेट की मंजूरी ली जाती है।
एरियर भुगतान के साथ खाते में भेजी जाती है संशोधित राशि
जब सरकार डीए वृद्धि का फैसला करती है, तो संशोधित राशि उसी महीने के वेतन या पेंशन में जोड़ दी जाती है, जिसमें ऐलान होता है। बाकी पिछली अवधि की राशि एरियर के रूप में दी जाती है, जिससे कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को आर्थिक राहत मिलती है।
महंगाई भत्ते की समीक्षा वर्ष में दो बार होती है
केंद्र सरकार हर साल दो बार महंगाई भत्ते की समीक्षा करती है — पहली बार जनवरी के लिए और दूसरी बार जुलाई के लिए। जनवरी की समीक्षा का असर आमतौर पर मार्च-अप्रैल में देखने को मिलता है, जबकि जुलाई की समीक्षा का असर सितंबर-अक्टूबर में दिखाई देता है। इस प्रकार, डीए संशोधन एक नियमित प्रक्रिया है जो महंगाई के अनुपात में वेतन को संतुलित रखने के लिए की जाती है।
50% डीए के पार होने पर बेसिक वेतन में संशोधन का नियम
डीए से संबंधित एक महत्वपूर्ण नियम के अनुसार, जब डीए 50% के पार चला जाता है, तो उसे मूल वेतन में मर्ज कर दिया जाता है और एक नया बेसिक पे स्केल तय किया जाता है। हालांकि, मौजूदा बार ऐसा नहीं हुआ है। यह प्रक्रिया अगला वेतन आयोग लागू होने पर अपनाई जाती है, जिसके बाद डीए को दोबारा शून्य से शुरू किया जाता है।