हिमालय की गोद में बसा कैलाश पर्वत न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह विज्ञान और रहस्य के लिहाज से भी बहुत खास है। तिब्बत के पश्चिमी इलाके में स्थित यह पर्वत 6,638 मीटर ऊंचा है और हिंदू, बौद्ध, जैन और बोंपों धर्मों में इसे पवित्र माना जाता है। हिंदू धर्म में इसे भगवान शिव का निवास माना जाता है। यह वह स्थान है, जहां से कई नदियां भी निकलती हैं जैसे सतलुज, सिंधु, ब्रह्मपुत्र और घाघरा।
दरअसल, कैलाश पर्वत के आसपास कई ऐसी घटनाएं होती हैं जो अब तक विज्ञान की पकड़ में नहीं आ सकीं। ऐसा कहा जाता है कि यहां दिशा भ्रम हो जाता है, यानी आप जिस दिशा में जा रहे होते हैं, वह असल में वह नहीं होती। लोगों ने यह भी बताया है कि यहां पहुंचते ही घड़ी की सूइयां तेज़ चलने लगती हैं, और शरीर में अजीब थकान महसूस होती है। कई यात्रियों और वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि यहां अजीब सी ऊर्जा का अहसास होता है। कुछ लोग बताते हैं कि यहां पहुंचते ही सिर दर्द, उलझन, डर और मतिभ्रम जैसी परेशानियां होने लगती हैं।
अब तक कोई क्यों नहीं चढ़ पाया कैलाश पर्वत पर?
इतनी ऊंचाई और रोमांच के बावजूद आज तक कोई भी इंसान कैलाश पर्वत की चोटी पर नहीं पहुंच पाया। कई बार पर्वतारोहियों ने प्रयास किया, लेकिन कोई न कोई अजीब घटना हो जाती थी – मौसम अचानक खराब हो जाना, रास्ता भटक जाना या शरीर का साथ छोड़ देना।
1950 में एक प्रसिद्ध पर्वतारोही ने चढ़ाई की योजना बनाई थी लेकिन कहते हैं कि उन्होंने सपना देखा जिसमें उन्हें ऊपर चढ़ने से रोका गया। इसके बाद उन्होंने खुद ही चढ़ाई से मना कर दिया। रूस और चीन के कुछ वैज्ञानिकों ने भी यहां रिसर्च करने की कोशिश की, लेकिन नतीजे अजीब और डरावने निकले। एक रिपोर्ट के अनुसार, जो भी इस पर्वत की चोटी के करीब पहुंचा, उसे मानसिक और शारीरिक रूप से गहरा असर झेलना पड़ा।
चीन ने क्यों लगा रखा है प्रतिबंध?
कैलाश पर्वत तिब्बत में आता है, जो कि फिलहाल चीन के नियंत्रण में है। चीन सरकार ने आधिकारिक रूप से इस पर्वत पर चढ़ाई को बैन कर दिया है। उनका कहना है कि यह एक धार्मिक स्थल है और इसकी पवित्रता को बनाए रखना जरूरी है। हालांकि, जानकार मानते हैं कि असल कारण पर्वत के आसपास होने वाली रहस्यमयी घटनाएं और सुरक्षा कारण हैं। कई पर्यटक कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाते हैं, जो कैलाश पर्वत के चारों ओर बनी 52 किलोमीटर की परिक्रमा है। इसे “कैलाश परिक्रमा” कहा जाता है और यह बेहद कठिन होती है। लेकिन धार्मिक मान्यता है कि जो कोई इस परिक्रमा को पूरी श्रद्धा से करता है, उसके सारे पाप मिट जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।