ईरान और इजराइल के बीच चल रही जंग के बीच अमेरिका की एंट्री के बाद आने वाले समय में एलपीजी सिलेंडर के दामों में बढ़ोतरी हो सकती है। बताया जा रहा है कि मिडिल ईस्ट में बढ़ते तनाव का असर सिलेंडर के रेट्स पर देखने को मिल सकता है।
16 दिन का है भंडारण
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अनुसार, भारत के पास सिर्फ 16 दिन की औसत एलपीजी खपत का भंडार है। दरअसल, भारत में इस्तेमाल होने वाले तीन में से दो LPG सिलेंडर पश्चिम एशिया से आते हैं। अगर वहां की आपूर्ति ठप होती है, तो सबसे पहले और सबसे बड़ा भारत में आम लोगों को झटका लगेगा। ये भंडार आयात टर्मिनलों, रिफाइनरियों और बॉटलिंग प्लांटों में सीमित मात्रा में जमा है। ऐसे में आपूर्ति रुकने की स्थिति में देशव्यापी गैस संकट खड़ा हो सकता है। भारत के पास कच्चे तेल के मामले में बेहतर तैयारी है। रिफाइनरियों, पाइपलाइनों और जहाजों में करीब 25 दिन का स्टॉक मौजूद है। राष्ट्रीय रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार (SPR) भी संकट के समय काम आ सकता है।
तेल कीमतों में उछाल की संभावना
विशेषज्ञों का मानना है कि अभी जमाखोरी की कोई आवश्यकता नहीं पर सतर्कता ज़रूरी है। अधिकारियों का मानना है कि तेल की कीमतों में अस्थायी उछाल संभव है, लेकिन वैश्विक आर्थिक परिस्थितियां कीमतों को नियंत्रण में रखेंगी। पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में बदलाव की संभावना नहीं, क्योंकि तीन साल से ये स्थिर बनी हुई हैं। सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियां दबाव के बावजूद कीमतें नियंत्रित रखने के प्रयास में हैं। जहां एलपीजी के मामले में भारत कमजोर स्थिति में है। वहीं पेट्रोल और डीजल के मामले में भारत शुद्ध निर्यातक है। भारत घरेलू पेट्रोल की 40% और डीजल की 30% खपत को निर्यात करता है। जिसे जरूरत पड़ने पर घरेलू बाजार में मोड़ा जा सकता है।