केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने अफसरशाही पर उठाए सवाल

नितिन गडकरी : केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि परियोजनाओं के लिए धन की कोई कमी नहीं है, लेकिन अफसरों में लचीलेपन और नई सोच की कमी है। उन्होंने बताया कि विजय केलकर जैसे अधिकारी इस सोच से अलग थे। पुणे में केलकर को सम्मानित करते हुए गडकरी ने कहा कि वे बड़े प्रोजेक्ट्स की बात करते हैं और काम पूरा भी करते हैं।

नई सोच को नजरअंदाज करते हैं अधिकारी: केंद्रीय मंत्री

गडकरी ने कहा कि असली समस्या धन की नहीं, बल्कि काम की धीमी रफ्तार की है। उन्होंने नौकरशाही की तुलना मवेशियों से करते हुए कहा कि जैसे जानवर एक लाइन में चलते हैं और रास्ता नहीं बदलते, वैसे ही अधिकारी भी लीक से हटकर सोचने को तैयार नहीं होते। लेकिन विजय केलकर ऐसे अफसर थे, जिन्होंने नीति बनाते समय लचीलापन अपनाया और अलग सोच को अपनाया।

वित्त आयोग अध्यक्ष के रूप में केलकर से हुई थी पहली भेंट

नितिन गडकरी ने अपने भाषण में एक पुरानी घटना का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि जब विजय केलकर वित्त आयोग के अध्यक्ष थे, तब उनसे मुलाकात हुई थी। उस समय 3.85 लाख करोड़ की लागत वाली 406 परियोजनाएं रुकी हुई थीं, जिससे बैंकों पर तीन लाख करोड़ की एनपीए बनने का खतरा था। गडकरी ने कहा कि इसका मुख्य कारण नौकरशाहों की काम में देरी थी।

एनपीए संकट से राहत, केलकर ने 2009 में GST की शुरुआत की थी

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि कुछ परियोजनाओं को बंद किया गया और कुछ में सुधार कर समस्याओं का हल निकाला गया। इसके बाद परियोजनाएं फिर शुरू हुईं और बैंकों को तीन लाख करोड़ रुपये के नुकसान से बचा लिया गया। उन्होंने कहा कि केलकर ने सभी विभागों में अच्छा काम किया और वित्त सचिव के रूप में उनकी नीतियों का लंबे समय तक असर रहा। 2009 में केलकर ने जीएसटी पर सहमति बनाने की कोशिश की, जिसे देशहित में जरूरी बताया।