शालिनी ताई मोघे की 14वीं पुण्यतिथि पर बाल निकेतन संघ का विशेष आयोजन

इंदौर, 26 जून 2025। मालवा की मैडम मोंटेसरी और 1947 से बाल शिक्षा की जननी कही जाने वाली, साथ ही शिक्षा के माध्यम से समाजसेवा की अलख जगाने वाली स्व. पद्मश्री शालिनी ताई मोघे (बड़े ताई) की चौदहवीं पुण्यतिथि के अवसर पर, पागनीस पागा स्थित बाल निकेतन संघ, इंदौर द्वारा एक विशेष दो दिवसीय व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन 30 जून एवं 1 जुलाई 2025 को संस्था परिसर में संपन्न होगा, जिसमें समाजसेवा, चिकित्सा एवं राष्ट्रसेवा से जुड़ी प्रतिष्ठित हस्तियां मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करेंगी।

पहले दिन, 30 जून को प्रातः 11:30 बजे, पद्मश्री डॉ. लीला जोशी (रतलाम) मुख्य अतिथि होंगी। उन्हें ‘मदर टेरेसा ऑफ एमपी’ के नाम से जाना जाता है। रेलवे हेल्थ सर्विस से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने आदिवासी अंचलों में महिलाओं और बच्चियों के स्वास्थ्य के लिए नि:स्वार्थ कार्य किया। उनके ’12/12/12 मॉडल’ और स्वास्थ्य शिविरों ने हजारों परिवारों को नई दिशा दी। चिकित्सा क्षेत्र में उनके अतुलनीय योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री सहित कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित किया गया है।

दूसरे दिन, 1 जुलाई को प्रातः 11:30 बजे, लेफ्टिनेंट कर्नल आशिष मंगरुलकर (प्रमुख – ECHS, महू) हाल ही में हुए ऑपरेशन सिन्दूर पर व्याख्यान देंगे। इंदौर में जन्मे मंगरुलकर ने यूपीएससी की संयुक्त रक्षा सेवा परीक्षा उत्तीर्ण कर भारतीय सेना में अधिकारी के रूप में प्रवेश किया। उन्होंने नागालैंड, मणिपुर, लद्दाख, कारगिल जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में राष्ट्रसेवा की है। वर्तमान में वे महू स्थित पूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना (ईसीएचएस) के प्रमुख हैं, जहां वे 17,000 से अधिक सैन्य पेंशनधारकों को सेवाएं दे रहे हैं। वे एक सक्रिय गोल्फर, साइक्लिस्ट और टीवी डिबेटर भी हैं।

इस अवसर पर, बाल निकेतन संघ की सचिव डॉ. नीलिमा अदमणे ने कहा, “शालिनी ताई हमारे लिए केवल एक नाम नहीं, बल्कि एक विचारधारा हैं। उनका जीवन सेवा, शिक्षा और समाज के प्रति समर्पण की मिसाल है। बाल निकेतन संघ परिवार इस आयोजन के माध्यम से शालिनी ताई के सेवा-आदर्शों और शिक्षण-संकल्पना को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का प्रयास कर रहा है। यह व्याख्यान श्रृंखला हमारे छात्रों और समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी। हम सौभाग्यशाली हैं कि दो प्रतिष्ठित विभूतियाँ अपने अनुभव हमारे साथ साझा करेंगी।”