केदारनाथ यात्रा की शुरुआत उत्तराखंड के ऋषिकेश या हरिद्वार से होती है. यहां से गाड़ी या बस द्वारा गुप्तकाशी, सोनप्रयाग और फिर गौरीकुंड तक पहुंचा जाता है. गौरीकुंड से केदारनाथ मंदिर तक करीब 18 किलोमीटर की ट्रेकिंग करनी होती है. यह ट्रेक थोड़ी कठिन हो सकती है लेकिन रास्ते में प्राकृतिक नज़ारे और भक्तों का उत्साह सफर को यादगार बना देते हैं. अगर आप पैदल नहीं चल सकते तो खच्चर, पालकी या हेलिकॉप्टर सेवा का विकल्प भी मौजूद है.
कहां-कहां रुक सकते हैं?
यात्रा के दौरान ठहरने के लिए कई विकल्प मौजूद हैं. गुप्तकाशी, सोनप्रयाग और गौरीकुंड में आपको ₹500 से ₹1500 के बीच अच्छे होटल, लॉज और धर्मशालाएं मिल जाती हैं. केदारनाथ मंदिर के पास गढ़वाल मंडल विकास निगम (GMVN) के टेंट, गेस्ट हाउस और धर्मशालाएं उपलब्ध हैं. भीड़ के समय में ऑनलाइन बुकिंग करना फायदेमंद होता है. अगर आप हेलिकॉप्टर से जा रहे हैं तो अधिकतर कंपनियां पैकेज में ठहरने की सुविधा भी देती हैं.
यात्रा में क्या-क्या जरूरी सामान लें?
चूंकि केदारनाथ यात्रा पहाड़ी और ऊंचाई वाले क्षेत्र में होती है, इसलिए मौसम को ध्यान में रखते हुए तैयारी करना जरूरी है. साथ में गरम कपड़े, रेनकोट, ट्रैकिंग शूज, टोर्च, पावर बैंक, दवाइयां और पहचान पत्र ज़रूर रखें. उत्तराखंड सरकार की वेबसाइट पर जाकर यात्रा रजिस्ट्रेशन और ई-पास लेना भी अनिवार्य है. यह आपकी सुरक्षा और सुविधा दोनों के लिए जरूरी है.
कब जाएं और क्या सावधानी रखें?
केदारनाथ यात्रा मई से जून और सितंबर से अक्टूबर तक करना सबसे अच्छा रहता है. बारिश और भूस्खलन के समय जाने से बचें. मौसम अचानक बदल सकता है, इसलिए सतर्क रहें. बच्चों और बुजुर्गों के लिए विशेष सावधानी रखें. भीड़ में भी संयम बनाए रखें और यात्रा को धार्मिक भावना के साथ पूरा करें. यह सिर्फ एक यात्रा नहीं बल्कि आत्मिक अनुभव होता है.