इंदौर के छत्रीबाग स्थित श्री लक्ष्मी वेंकटेश देवस्थान से हर साल निकलने वाली भव्य रथयात्रा बीते 100 वर्षों से भक्तों की आस्था और परंपरा का जीवंत प्रतीक बनी हुई है। श्री लक्ष्मी वेंकटेश देवस्थान की यह पावन रथयात्रा न केवल इंदौर की गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत है, बल्कि यह बताती है कि जब श्रद्धा, परंपरा और समर्पण एक साथ चलते हैं, तब रथ केवल सड़क पर नहीं, बल्कि भक्तों के हृदय में भी चलता है। यह इंदौर के लिए गौरव का क्षण होता है जब हजारों की संख्या में भक्त इस यात्रा में शामिल होते है। यह सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि श्रद्धा, सेवा और भक्ति का महापर्व है, जो हर साल एक नए संदेश के साथ शहरवासियों के दिलों को छू जाता है।
चांदी के रथ पर सवार होते है भगवाव वेंकटेश
सात दिवसीय ब्रह्मोत्सव का सबसे विशेष दिन – ‘द्वितीया’ (दुज) – जब ठाकुरजी स्वयं रजत रथ पर आरूढ़ होकर नगर भ्रमण को निकलते हैं, तो मानो इंदौर नगरी में स्वर्ग उतर आता है। चांदी से निर्मित यह भव्य रथ, जिस पर विभिन्न दिव्य आकृतियाँ उकेरी गई हैं, भक्तगण अपने हाथों से खींचते हैं। रथ की रस्सियाँ जब हजारों श्रद्धालुओं के हाथों से होकर गुजरती हैं, तब आस्था की डोर इंदौर के हर कोने को जोड़ देती है।
प्रभु वेंकटेश जी की यह रथयात्रा 100 वर्षों से निरंतर निकल रही है। चाहे वह कर्फ्यू का समय रहा हो या कोरोना का संकटकाल, प्रशासन और भक्तों के सहयोग से यह परंपरा कभी नहीं टूटी। प्रारंभ में जहां केवल 50 भक्त प्रभु के उत्सव विग्रह को लकड़ी के रथ पर विराजमान कर कीर्तन करते हुए यात्रा निकालते थे, वहीं आज यह यात्रा देश की तीसरी सबसे बड़ी रथयात्रा बन चुकी है। उक्त जानकारी वेंकटेश गृह उद्योग के पंकज तोतला ने देेते हुए यात्रा से जुड़ी कई रोचक जानकारियां दी।
मृदंग और ढोल की गूंज से गुंजायमान होगा शहर
भक्ति और उल्लास का यह कारवां हर वर्ष और विराट होता जा रहा है। रथयात्रा के दौरान पूरा शहर भजनों, मृदंग और ढोल की गूंज से गूंज उठता है। भक्त झूमते, गाते, और नाचते हुए ठाकुरजी के दर्शन का पुण्य लाभ उठाते हैं। यात्रा का सबसे भावपूर्ण क्षण तब आता है, जब भक्तजन रथ के अगले सिरे को, जिसे दिनभर खींचा गया होता है, वापस देवस्थान पहुंचकर ही रखते हैं, मानो एक पूर्ण आहुति हो।
नगर भ्रमण पर निकलेंगे भगवान वेंकटेश
भगवान वेंकटेश अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए पूरे वैभव और श्रंगार के साथ नगर भ्रमण पर निकलेंगे। यह यात्रा श्री ब्रह्मोत्सव एवं रथयात्रा महोत्सव का एक महत्वपूर्ण भाग है। इस महोत्सव के अंतर्गत मंदिर परिसर में कई धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।
यह रहेगा यात्रा मार्ग और ट्रैफिक से जुड़ी जानकारी
रथयात्रा का शुभारंभ छत्रीबाग स्थित मंदिर से होगा। इसके पश्चात यात्रा निम्नलिखित मार्गों से होकर गुजरेगी, सिलावटपुरा चौराहा, नृसिंह बाजार चौराहा, सीतलामाता बाजार, गौराकुंड चौराहा, शक्कर बाजार,बड़ा सराफा,पीपली बाजार,बर्तन बाजार,बजाज खाना,साठा बाजार के बाद यात्रा पुनः मंदिर परिसर में लौटकर समाप्त होगी।
300 मंचों से पुष्प वर्षा स्वागत, प्रसाद वितरण
रथयात्रा मार्ग पर करीब 300 मंचों से पुष्प वर्षा कर भगवान का भव्य स्वागत किया जाएगा। कई स्थानों पर प्रसाद वितरण की व्यवस्था भी की गई है। यात्रा की सुचारु व्यवस्था के लिए 250 कार्यकर्ता एकरूप वेशभूषा से सेवाएं देंगे।
पुलिस और सुरक्षा व्यवस्था
यात्रा के दौरान सुरक्षा और यातायात व्यवस्था बनाए रखने के लिए बड़ी संख्या में यातायात पुलिस एवं थाना पुलिस बल की तैनाती की जाएगी। नगरवासियों से अनुरोध है कि वे यात्रा मार्ग पर अनावश्यक आवागमन से बचें और प्रशासन का सहयोग करें। यह रथयात्रा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक समरसता और नगर की सांस्कृतिक एकता का भी भव्य उदाहरण प्रस्तुत करेगी।