डेली कॉलेज में शिक्षा की नई क्रांति, रोबोट टीचर पढ़ाएंगे और टॉय ट्रेन में घुमेंगे बच्चें

इंदौर में अब आधुनिक शिक्षा की क्रांति आ गई है।  शैक्षणिक परंपराओं और अत्याधुनिक तकनीकी में एक नया जुड़ाव करते हुए डेलीकॉलेज ने शिक्षा के क्षेत्र में दो अभिनव और ऐतिहासिक पहल शुरू की हैं यहां के जूनियर स्कूल के लिए टॉय ट्रेन, और सीनियर कक्षाओं में ह्यूमेनॉइड रोबोट टीचर अब स्कूल का हिस्सा होंगे।

शिक्षा को रोमाचंक बनाने का प्रयास
डेली कॉलेज की प्राचार्या डॉ. गुनमीत बिंद्रा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी देते हुए बताया कि रोबोटिक शिक्षा महज़ एक तकनीकी प्रयोग नहीं है, बल्कि “शिक्षा को अधिक रोमाचंक” बनाने की दिशा में सोच-समझकर उठाया गया कदम है।

छोटी सी सवारी, बड़े उद्देश्य
जूनियर स्कूल परिसर में दौड़ती छोटी सी टॉय ट्रेन देखने में भले ही मनोरंजन लगे, लेकिन इसके पीछे डेली कॉलेज की एक गहरी शैक्षणिक सोच छिपी है। यह पहल बच्चों के सर्वांगीण विकास को बढ़ावा देने का साधन माना जा रहा है। इस ट्रेन से बच्चों के दिमाग का विकास होगा इसके साथ ही बच्चों को कई नए सिद्धातों की जानकारी होगी। इसमें इंजन, प्लेटफॉर्म, स्टेशन जैसे शब्दों का अर्थ के साथ प्रेक्टिक अनुभव बच्चे करेगे। इसके साथ ही ट्रेन में चढ़ना-उतरना, संतुलन बनाना आदि भी बच्चों को सिखाया जाएंगा। इसके माध्यम से बच्चे रोल प्ले  ड्राइवर, कंडक्टर, यात्री बनकर समूह में सहयोग करना सीखेगे। डॉ. बिंद्रा कहती हैं कि “हम चाहते हैं कि हमारे नन्हें विद्यार्थी हर दिन मुस्कान के साथ स्कूल आएं। टॉय ट्रेन सिर्फ एक सवारी नहीं, यह उनके लिए एक भावनात्मक अनुभव और सीखने की प्रेरणा बन जाती है।

ह्यूमेनॉइड रोबोट टीचर भविष्य को देखेगे बच्चे
यहां AI-सक्षम रोबोट टीचर का प्रयोग उन्हें भविष्य की ओर ले जाता है। यह पहल डेली कॉलेज को उन गिने-चुने स्कूलों की श्रेणी में लाती है, जिन्होंने औपचारिक रूप से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को कक्षा शिक्षण में एकीकृत किया है। इस बारें में डॉ. बिंद्रा स्पष्ट कहत है कि “रोबोट शिक्षक का उद्देश्य इंसानों की जगह लेना नहीं, बल्कि कक्षा अनुभव को और अधिक समृद्ध बनाना है। रोबोट टीचर से बच्चे हर विद्यार्थी के अनुसार स्पीड व व्याख्या में बदलाव, क्विज़, एनिमेशन, संवादों के माध्यम से पढ़ाई को तर्क संगत बनाना, छात्रों की रिएक्शन देखना, शर्मीले छात्रों के लिए जजमेंट-फ्री अभ्यास का मच बन गया है।  घर पर कंटेंट, कक्षा में चर्चा और समाधान का विषय बनेगा। विज्ञान से नैतिकता और करंट अफेयर्स से लॉजिक तक बच्चे इससे सीखेगे। रोबोट की दृष्टि, श्रवण और लेखन के माध्यम से कई तरह से बच्चों को सीखाने का प्रयास किया जाएंगा। डॉ. बिंद्रा कहती है कि “यह सिर्फ AI सिखाने की बात नहीं है, बल्कि बच्चों को उस दुनिया के लिए तैयार करने की बात है जहाँ AI जीवन का अंग बन चुका है। यहीं रोबोट एक सह-शिक्षक की भूमिका निभाता है, ताकि शिक्षक प्रेरणा, मार्गदर्शन और संवाद पर ध्यान केंद्रित कर सकें।