Jagannath Puri Rath Yatra 2025 : पुरी रथ यात्रा में भीड़ का सैलाब, मोड़ पर अटका बलभद्र का रथ, 600 श्रद्धालु घायल

Jagannath Puri Rath Yatra 2025 : ओडिशा की तीर्थ नगरी पुरी में हर साल की तरह इस बार भी भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में आस्था का अद्वितीय नज़ारा देखने को मिला। महाप्रभु जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की भव्य रथ यात्रा के दौरान लाखों श्रद्धालु उनके दर्शन और रथ खींचने की परंपरा में भाग लेने पहुंचे। लेकिन इस बार यह आध्यात्मिक उत्सव एक नई चुनौती के साथ सामने आया, जब भारी गर्मी, उमस और भीड़ के कारण 600 से अधिक श्रद्धालुओं को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ा और उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।

भीड़ और गर्मी ने बढ़ाई मुश्किलें, कई श्रद्धालु बेहोश

शुक्रवार को आयोजित रथ यात्रा के दौरान जब भगवान बलभद्र के रथ “तलध्वज” को खींचा जा रहा था, तभी एक तीखे मोड़ पर रथ को आगे बढ़ाने में कठिनाई आने लगी। रथ के रुकने से बड़ी संख्या में लोग आसपास जमा हो गए, जिससे अव्यवस्था फैल गई। कई श्रद्धालु गर्मी और घुटन के कारण बेहोश हो गए। ओडिशा सरकार के मंत्री मुकेश महालिंग ने बताया कि उमस और तेज़ गर्मी के चलते कुछ श्रद्धालुओं की तबीयत बिगड़ी, लेकिन राहत टीमों ने त्वरित कार्रवाई कर उन्हें मेडिकल कॉलेज पहुंचाया।

प्रतिबंधित क्षेत्रों में घुसे श्रद्धालु, रथ खींचने में बाधा

सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार, रथ यात्रा मार्ग में कुछ श्रद्धालु प्रतिबंधित क्षेत्रों में घुस आए, जिससे रथों की आवाजाही में बाधा उत्पन्न हुई और यातायात प्रभावित हुआ। प्रशासन के लिए इस भीड़ को नियंत्रित करना एक बड़ी चुनौती बन गया। इससे पहले भी एक मोड़ पर जब रथ रुका, तो उत्साही भक्तों की भीड़ के कारण स्थिति और बिगड़ गई।

गुंडिचा मंदिर तक पहुंचते हैं रथ, जहां त्रिदेव एक सप्ताह रुकते हैं

हर साल होने वाली इस रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के रथों को 12वीं शताब्दी के जगन्नाथ मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक खींचा जाता है, जो लगभग 2.5 किलोमीटर की दूरी पर है। इस यात्रा को महाप्रभु का अपने भक्तों से मिलने का प्रतीक माना जाता है। गुंडिचा मंदिर को त्रिदेवों की मौसी का घर माना जाता है, जहां वे एक सप्ताह तक विश्राम करते हैं, इसके बाद पुनः वापसी यात्रा की जाती है।

10,000 से अधिक सुरक्षाकर्मी तैनात, फिर भी भीड़ बनी चुनौती

श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को नियंत्रित करने और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे। शहर भर में 10,000 से अधिक पुलिस और सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए थे, जिनमें केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) की आठ कंपनियां भी शामिल थीं। इसके अलावा मंदिर के पास प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों की व्यवस्था की गई थी, जहां पर ग्लूकोज, पानी और अन्य उपचार की तैयारी की गई थी।

जय जगन्नाथ के नारों से गूंजा पुरी

‘जय जगन्नाथ’ और ‘हो भक्ते’ के नारों से गुंजायमान पुरी, एक बार फिर आस्था का केंद्र बन गया। लेकिन इस बार की घटनाएं यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि श्रद्धा के साथ-साथ सुरक्षा और मेडिकल प्रबंधन को और बेहतर कैसे बनाया जाए। हालांकि प्रशासन की तत्परता के कारण कोई जानहानि नहीं हुई।