Jagannath Puri 4 Doors : पुरी मंदिर के चार द्वारों में बसा है सनातन संस्कृति का गूढ़ संदेश, जाने क्या हैं इसके पीछे का रहस्य

Jagannath Puri 4 Doors : भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा इस वर्ष 27 जून 2025 से आरंभ हो चुकी है और एक बार फिर आस्था की लहरों ने पुरी नगरी को भक्तिमय बना दिया है। हर साल लाखों श्रद्धालु इस भव्य आयोजन का हिस्सा बनने के लिए देश-विदेश से पुरी पहुंचते हैं। रथ यात्रा के साथ-साथ भक्त भगवान जगन्नाथ मंदिर के दर्शन भी करते हैं, जिसे न केवल धार्मिक दृष्टि से पवित्र माना जाता है, बल्कि इसके कई रहस्य आज भी लोगों के लिए कौतूहल का विषय बने हुए हैं।

इन्हीं में से एक है मंदिर के चार पवित्र द्वार, जिनका संबंध केवल दिशा या प्रवेश से नहीं, बल्कि धर्म, युग और आध्यात्मिक प्रतीकों से भी है।

पुरी मंदिर के चार द्वारों में बसा है सनातन संस्कृति का गूढ़ संदेश (Jagannath Puri 4 Doors)

सिंह द्वार – मोक्ष का प्रवेशद्वार

पुरी मंदिर का मुख्य द्वार सिंह द्वार कहलाता है, जो पूर्व दिशा में स्थित है। इसे मोक्ष का प्रतीक माना जाता है। इस द्वार से ही भक्त मंदिर में प्रवेश करते हैं। द्वार के दोनों ओर सिंह की मूर्तियां स्थापित हैं, जो इसके नाम को सार्थक बनाती हैं। धार्मिक मान्यता है कि सिंह द्वार से प्रवेश करने वाला भक्त जगन्नाथ जी की कृपा से संसार के बंधनों से मुक्त हो सकता है।

अश्व द्वार – विजय का प्रतीक

मंदिर का दक्षिणी द्वार अश्व द्वार के नाम से जाना जाता है, जो घोड़े के प्रतीक से जुड़ा हुआ है। इसे विजय और पराक्रम का द्वार माना जाता है। पुरानी मान्यताओं के अनुसार, योद्धा इस द्वार से प्रवेश कर भगवान से युद्ध में विजय की कामना करते थे। यह द्वार उत्साह, ऊर्जा और जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।

व्याघ्र द्वार – धर्म और इच्छाओं का द्वार

पश्चिम दिशा में स्थित व्याघ्र द्वार, बाघ के प्रतीक से जुड़ा हुआ है और यह धर्म, इच्छा और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। इस द्वार को भगवान नरसिंह से जोड़ा जाता है, जो धर्म की रक्षा के लिए प्रकट हुए थे। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त इस द्वार से होकर मंदिर में प्रवेश करता है, उसे धार्मिक बल और इच्छाशक्ति की प्राप्ति होती है।

हस्ति द्वार – ऐश्वर्य और गणेश की कृपा का प्रतीक

उत्तर दिशा का द्वार हस्ति द्वार कहलाता है, जिसका प्रतीक हाथी है। यह द्वार भगवान गणेश को समर्पित है और समृद्धि, ऐश्वर्य और बाधा विनाश का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस द्वार से प्रवेश करने वाला भक्त सुख, शांति और संपन्नता की ओर अग्रसर होता है।

चार द्वार, चार युगों का प्रतीक

इन चार द्वारों को केवल दिशात्मक संरचना नहीं, बल्कि चार युगों (सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग) और चार प्रमुख आध्यात्मिक गुणों – धर्म, ज्ञान, वैराग्य और ऐश्वर्य का प्रतीक भी माना गया है। यही कारण है कि ये द्वार आज भी रहस्यमय और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं।