11 जुलाई से बदल जाएगा बिजली खरीदने का तरीका, NSE ला रहा ‘इलेक्ट्रिसिटी फ्यूचर्स’, जानकर आप भी चौंक जाएंगे!

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने 11 जुलाई 2025 से इलेक्ट्रिसिटी फ्यूचर्स लॉन्च करने का ऐलान किया है। यह भारत में ऊर्जा सेक्टर की फाइनेंशियल ट्रेडिंग की दिशा में एक बड़ा कदम है। NSE का मानना है कि भारत जैसे देश में जहां बिजली की मांग तेजी से बढ़ रही है, वहां इस तरह का पावर डेरिवेटिव बाजार न सिर्फ जरूरी है, बल्कि काफी फायदेमंद भी हो सकता है। इस पहल को सफल बनाने के लिए NSE ने Liquidity Enhancement Scheme (LES) भी शुरू की है।

क्या होता है इलेक्ट्रिसिटी फ्यूचर्स?

इलेक्ट्रिसिटी फ्यूचर्स एक फाइनेंशियल कॉन्ट्रैक्ट होता है, जिसमें खरीदार और विक्रेता भविष्य की किसी तय तारीख पर बिजली की कीमत को फिक्स कर लेते हैं। इसमें वास्तविक बिजली की डिलीवरी नहीं होती, बल्कि कीमतों पर ट्रेडिंग होती है। इससे खरीदार और विक्रेता दोनों कीमत के उतार-चढ़ाव से सुरक्षा (हेजिंग) पा सकते हैं। इसमें हिस्सा लेने वालों में ट्रेडिंग मेंबर्स, बिजली उत्पादक कंपनियां, कॉरपोरेट खरीदार और SEBI से अनुमोदित वित्तीय संस्थाएं शामिल हो सकती हैं।

Liquidity बनाए रखने के लिए मार्केट मेकर्स को इनाम

इस नए ट्रेडिंग सेगमेंट में लिक्विडिटी बनाए रखने के लिए NSE दो Market Makers (MM1 और MM2) को नियुक्त करेगा। ये मार्केट मेकर्स लगातार बाय और सेल के रेट डालेंगे जिससे खरीदारों और विक्रेताओं को एक स्थिर बाजार मिलेगा। इसके लिए बिडिंग प्रक्रिया शुरू की गई है और चयनित मार्केट मेकर्स को 6 महीने तक विशेष प्रोत्साहन दिया जाएगा।

MM1 और MM2 को हर महीने मिलेंगे लाखों रुपये

LES स्कीम के तहत, Market Maker 1 (MM1) को हर महीने ₹85 लाख तक और Market Maker 2 (MM2) को ₹45 लाख तक की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। यह इनाम तभी मिलेगा जब वे NSE की तय शर्तों को पूरा करेंगे, जिनमें से प्रमुख हैं:

कम से कम ₹5 करोड़ की नेटवर्थ

पिछली 1 साल में कोई गंभीर अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं

कमोडिटी डेरिवेटिव्स में अल्गो रजिस्ट्रेशन

बिजली सेक्टर में अनुभव (जैसे जनरेशन, ट्रांसमिशन, EPC आदि)

इच्छुक संस्थानों को 2 जुलाई 2025 तक रजिस्ट्रेशन कराना होगा।

क्या बदलेगा इस स्कीम से?

इस स्कीम से भारत में बिजली का बाजार अधिक पारदर्शी, व्यवस्थित और सुरक्षित बन सकेगा। बिजली उत्पादक कंपनियों को अपने रेवेन्यू की भविष्यवाणी करने में मदद मिलेगी और खरीदारों को कीमत के झटकों से राहत मिलेगी। NSE का यह कदम भारत को पावर सेक्टर में ग्लोबल फाइनेंशियल मार्केट्स के बराबर खड़ा करने की दिशा में बड़ा प्रयास माना जा रहा है। यह इनोवेशन देश के ऊर्जा क्षेत्र को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है।