प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में बोडोलैंड के बदलते स्वरूप की सराहना करते हुए कहा कि जिस बोडोलैंड की पहचान कभी संघर्ष ही हुआ करती थी । वह आज खेलों, खासकर फुटबॉल के क्षेत्र में नई पहचान बना चूका है। साथ ही उन्होंने बताया की बोडोलैंड अब खेलों के जरिए उम्मीद और आत्मनिर्भरता की कहानी बन गया है।
मोदी ने बताया कि बोडो टेरिटोरियल रीजन में आयोजित ‘बोडोलैंड CEM कप’ केवल एक फुटबॉल टूर्नामेंट नहीं है, बल्कि यह क्षेत्र में सामाजिक और सांस्कृतिक क्रांति का प्रतीक बन गया है। बता दे की इस आयोजन में 3700 से अधिक टीमें और 70,000 से ज्यादा खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाए भी शामिल हैं। ये आंकड़े बोडोलैंड में हो रहे सकारात्मक बदलाव और युवाओं में बढ़ते आत्मविश्वास का परिचायक हैं।
प्रधानमंत्री ने एक सुंदर कल्पना करते हुए बोले :
“सोचिए एक तस्वीर, जब सुबह की धूप पहाड़ियों को छूती है, उजाला मैदानों की ओर बढ़ता है और उसी के साथ फुटबॉल प्रेमियों की टोली भी। सीटी बजती है और मैदान तालियों व नारों से गूंज उठता है। हर पास, हर गोल के साथ लोगों का उत्साह चरम पर होता है। यह कोई कल्पना नहीं, असम के बोडोलैंड की सच्चाई है।”
हालीचरण नारजारी, दुर्गा बोरो, अपूर्वा नारजारी और मनबीर बसुमतारी, प्रधानमंत्री इन दिगज्ज खिलाड़ियों को याद करते हुए कहा की सीमित संसाधनों में अभ्यास करते हुए यह सभी राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचे हैं। साथ ही उन्होंने कहा की ये खिलाड़ी उन हजारों बच्चों की प्रेरणा बन चुके हैं जो बोडोलैंड की मिट्टी से निकलकर बड़े सपने देख रहे हैं। बोडोलैंड आज केवल फुटबॉल नहीं खेल रहा, वह अपना भविष्य रच रहा है और यह बदलाव हर कदम पर दिखाई दे रहा है।