पन्ना जिले के अजयगढ़ तहसील के ग्राम पंचायत जैतूपुर में रहने वाले राम आसरे पाल और उनकी पत्नी के लिए वो दिन कभी नहीं भूलेगा जब उनका 15 साल का बेटा रामकेश अचानक गायब हो गया था। रामकेश अपने चाचा की लड़की की विदाई में बांदा जिले के ग्राम चंदौली गया था। विदाई के बाद वापसी के दौरान वह उत्तर प्रदेश के करतल बस अड्डे से अचानक लापता हो गया। परिजनों ने हर जगह उसकी तलाश की – पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई, रिश्तेदारों से संपर्क किया, मंदिरों में मन्नतें मांगी, ज्योतिष और तांत्रिकों तक की शरण ली, लेकिन कोई भी रास्ता बेटे तक नहीं पहुंच सका।
बंधक बनकर गुजारे साल
इधर रामकेश की कहानी और भी दुखद थी। वह दरअसल कुछ लोगों के चंगुल में फंस गया था जिन्होंने उसे झांसी जिले के ग्राम पालर ले जाकर बंधक बना लिया। उसे बाहरी दुनिया से पूरी तरह काटकर केवल खेतों में मजदूरी करने को मजबूर किया गया। धीरे-धीरे वह अपने गांव, माता-पिता और बचपन की यादों से भी दूर होता गया। बंधक जीवन में उसे यही लगने लगा था कि अब वह कभी अपने घर नहीं लौट सकेगा।
सामाजिक कार्यकर्ता बना फरिश्ता
रामकेश की किस्मत तब पलटी जब झांसी के एक सामाजिक कार्यकर्ता को उसकी कहानी का पता चला। उन्होंने गुपचुप तरीके से रामकेश से संपर्क किया और उसके परिवार के बारे में पूरी जानकारी जुटाई। इसके बाद वे स्थानीय प्रशासन की मदद से रामकेश को मुक्त कराने में सफल हुए। रामकेश को जैसे ही पता चला कि उसका परिवार अब भी उसका इंतजार कर रहा है, उसकी आंखें भर आईं। उसे उम्मीद थी कि शायद अब वो अपने मां-बाप को फिर से देख सकेगा।
22 साल बाद बेटे को देखकर रो पड़े माता-पिता
जब रामकेश अपने गांव जैतूपुर वापस लौटा तो वहां का नजारा बेहद भावुक कर देने वाला था। बूढ़े माता-पिता बेटे को देखकर अपनी आंखों के आंसू नहीं रोक सके। पूरे गांव में जैसे जश्न सा माहौल बन गया। आसपास के लोग भी इस पल को देखकर भावुक हो गए। 22 साल की दूरी, दर्द और इंतजार के बाद जो मिलन हुआ वो किसी चमत्कार से कम नहीं था। अब रामकेश फिर से अपने परिवार के साथ है और जीवन की एक नई शुरुआत कर रहा है।