ड्रैगन पर भरोसा नहीं, SCO सम्मेलन में भारत का सख्त रुख, चीन‑पाक गठजोड़ बेनकाब

China: एक ओर चीन गलवान संघर्ष के चार साल बाद दोस्ती का हाथ बढ़ाता है—कैलाश मानसरोवर मार्ग फिर से खोलता है, सीमा पर तनाव कम करने की बातें करता है—तो दूसरी ओर पाकिस्तान के साथ मिलकर पहलगाम आतंकी हमले जैसे संवेदनशील मुद्दों पर चुप्पी साधता है। भारत के लिए यह दोहरी नीति अब असहनीय होती जा रही है।

क्विंगदाओ में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में चीन और पाकिस्तान ने एक साझा बयान में पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र न करने की कोशिश की। भारत ने इस पर कड़ा ऐतराज जताते हुए उस बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जुन के साथ द्विपक्षीय बैठक में स्पष्ट शब्दों में कहा—“रिश्तों में नई जटिलताएं न जोड़ें।”

गलवान घाटी में 2020 की हिंसक झड़प अभी भी भारतीय जनमानस में ताजा है। भारत इस घटना को भूला नहीं है और अब चीन की हर ‘मुस्कुराहट’ के पीछे की मंशा को समझ चुका है।

जहाँ पाकिस्तान खुले तौर पर भारत-विरोधी गतिविधियों में लिप्त है, वहीं चीन कूटनीतिक मंचों पर उसे परोक्ष समर्थन देकर एक ‘छिपा साझेदार’ बन चुका है। आतंकवाद जैसे मुद्दों पर चुप रहना, भारत की संवेदनाओं को नजरअंदाज करना—ये चीन के दोहरे रवैये को उजागर करते हैं।