देश में सबसे अधिक वर्षा के लिए प्रसिद्ध, चेरापूंजी या सोहरा एक अद्भुत अनुभव है, ये मेघालय की राजधानी शिलांग से लगभग 54 किलोमीटर दूर है चेरापूंजी खासी हिल्स के दक्षिणी पठार पर स्थित है। इसे “चुर्रा” के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ संतरों की भूमि है।यह लगभग 4869 फीट की ऊंचाई पर बसा हुआ है।
चेरापूंजी की 5 सबसे प्रसिध्द जगहे :-
लिविंग रूट ब्रिज :
चेरापूंजी में सबसे लोकप्रिय है यहां के लिविंग रूट ब्रिज। इसे रबर के पेड़ों की जड़ों से तैयार किया गया है,यह एक प्राकृतिक पुल है। जिसे खासी और जयंतिया आदिवासी समुदाय ने तैयार किया है। यह बायो-इंजीनियरिंग का अनोखा अजूबा है।यह पल इतना मजबूत कि एक बार में 50 लोग उस पर चल सकते हैं। साथ ही इसकी दो मंजिला पुल की बनावट देखने लायक होती है और यह बरसात में और भी खूबसूरत लगती है।
झरने और गुफाएं :
हरियाली के बीच गिरते हुए झरनों की बात ही अलग होती है। चेरापुंजी का नोहकलिकाई फॉल्स भारत के सबसे ऊंचे झरनों में से एक वही सेवेन सिस्टर्स फॉल्स
कावा फॉल्स और वकाबा फॉल्स।
इसके अलावा चेरापूंजी में मवासमई गुफा और आरवाह गुफा जैसी चूना पत्थर की कई गुफाएं भी हैं।
लोक पर्व और नृत्य :
चेरापूंजी में रहने वाले खासी समुदाय के लोग मौसम और प्रकृति से गहरा जुड़ाव रखते हैं। वसंत आने पर यहां के लोग विशेष लोकगीत और नृत्य करते हैं, यह नृत्य बादलों को रिझाने के लिए किया जाता है। अगर आप वसंत के समय आते है यह आयोजन स्थानीय संस्कृति को करीब से देखने का बेहतरीन मौका होता है। यहां के लोग सालभर छाते लेकर चलते हैं, क्योंकि यहां बारिश कभी भी शुरू हो सकती है।
स्थानीय व्यंजन :
यदि आप भी खाने के शौकीन हैं। तो चेरापूंजी आपके लिए भी कुछ खास लेकर आया है।यहां का पॉर्क राइस और रेड मीट यहाँ बेहद लोकप्रिय हैं।और इसके अलावा, सोहरा पुलाव एक खास चावल की डिश है जो हरी सब्जियों से बनता है और यह बिना मसालों के तैयार किया जाता है। फिर भी यह डिश बहुत स्वादिस्ट होता है।