भोपाल गैस त्रासदी के काले अध्याय का अंत, 40 साल बाद यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा जलकर हुआ राख

मध्यप्रदेश के धार जिले के इंडस्ट्रीयल एरिये पीथमपुर में भोपाल गैस त्रासदी से जुड़े काले अध्याय का अंत हो चुका है। जी हां, पीथमपुर के एक डिस्पोजल प्लांट में यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री का पूरा 337 टन कचरा जलाकर राख कर दिया गया है। यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को जलने की प्रक्रिया प्लांट में लाए जाने के बाद 6 महीने में पूरी हुई है।

आपको बता दें कि कचरा जलाने से पहले प्लांट में तीन बार 30 टन कचरा ट्रायल के दौरान जलाया गया था और बाकी बचे 307 टन कचरे को जलाने की प्रक्रिया 5 मई से शुरू होकर बीते 29 और 30 जून की आधी रात को पूरी हुई।

इसी के साथ सन् 1984 में हुआ भोपाल गैस त्रासदी का काला अध्याय समाप्त हो चुका है। आपको बता दें कि यूनियन कार्बाइड का 307 टन जहरीला कचरा 5 मई को शाम 7:45 बजे जलाना शुरू किया गया था, जो कि 29-30 जून की रात करीब 1 बजे जलकर राख हुआ। इस कचरे को 270 किलो प्रति घंटे की दर से जलाया गया।

गौरतलब है कि यूनियन कार्बाइड के कचरे को जलाने की प्रक्रिया केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के तकनीकी विशेषज्ञों की निगरानी में हुई। आपको बता दें कि औद्यौगिक क्षेत्र पीथमपुर के प्लांट में भोपाल गैस त्रासदी के कचरे को जलाने की प्रक्रिया मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के निर्देशों के तहत की गई। हालाकि शुरूआत में पीथमपुर के स्थानीय लोगों ने स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रभाव को लेकर इसका विरोध जताया था।

बता दें कि साल 1984 में 2-3 दिसंबर की रात को यूनियन कार्बाइड के कीटनाशक के कारखाने से जहरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट का रिसाव हुआ था, जो कि विश्व की सबसे बड़ी औद्य़ोगिक त्रासदियों में से एक थी। इस भयानक त्रासदी में हजारों लोग घायल हो गए थे और लगभग 5,479 लोगों की मौत हो गई थी।