कीर्ति राणा इंदौर। अमूमन कवियों की यह छवि है कि वो मुफलिसी के मारे होते हैं, यह बात अलग है कि मंचीय कवि कविता से ज्यादा लतीफे सुनाकर ही तगड़ी फीस वसूलने का गुर जानते हैं। ऐसे में यदि आशु कवि प्रदीप नवीन के बारे में यह जानकारी सार्वजनिक हो, कि वो कोरोना काल में अपनी जेब से एक लाख रुपए पीएम फंड में जमा कराने वाले पहले हास्य कवि हैं। हमेशा जेब में कम से कम पांच हजार रुपए रख कर ही घर से निकलते हैं तो इस रहस्योदघाटन के बाद श्रोता तालियां तो बजाएंगे ही।
बेतरतीब दाढ़ी और कुरता-पाजामा, हिमाचली टोपी, मोटे कांच वाला चश्मा और बात बात में हास्य खोजने, हंसाने वाले आशु कवि प्रदीप नवीन 75 साल के हो गए हैं। यह भी उनके ‘नवीन उत्सव’ पर जाल सभागृह में आयोजित कार्यक्रम से कई मित्रों को पता चला। उन्हीं के मित्र-कवि प्रभु त्रिवेदी ने उक्त रहस्योदघाटन के साथ ही बताया कि प्रदीप से जब पूछा कि पांच हजार रुपए वाला कुर्ता रात में खूटी पर टांग देते हो, तो उन्हें यह जवाब मिला कि रात में ये पांच हजार तकिये के नीचे रख कर सोता हूं।
देश के बाकी कवियों के मुकाबले प्रदीप का नाम इसलिए भी ऊंचा है क्योंकि कोरोना काल में उन्होंने सिल्वर ओक कॉलोनी में कोरोना की मनहूसियत पर हास्य रचनाओं की चादर ओढ़ाई। देश के वो ऐसे पहले कवि भी रहे, जिन्होंने अपने बेटे कौतुहल काले के माध्यम से प्रधानमंत्री सहायता कोष में एक लाख रुपए जमा कराए थे।
एमपीईबी में इंदौर, खरगोन, सनावद बड़वाह, कालापीपल आदि कार्यालयों में पदस्थ रहे प्रदीप निर्भय हाथरसी, माणिक वर्मा को सुन-सुन कर आशु कवि बने और मंचीय कवि सम्मेलनों में सत्यनारायण सत्तन ने खूब पढ़वाया। सन् 1972 में पहला कवि सम्मेलन खरगोन में पढ़ा और जिसमें उन्हें 11 रुपए मिले। दूसरा ऊन में पढ़ा तो 21 रुपए मिले तो आश्चर्य हुआ कि कविता सुनाने के पैसे भी मिलते हैं।
कई मंचों पर पढ़ चुके प्रदीप ने 2018 में मंचों से खुद को अलग कर लिया। वे हैं तो महाराष्ट्रीयन, काले सरनेम है, लेकिन मराठी में चर्चा करने में खुद को कमजोर मानते हैं। अब तक 8 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। दिव्यांग बेटी मिनोती की 2007 में और पत्नी नमिता की 2011 में हुई मौत के बाद से प्रदीप के दिल में दूसरों की मदद का ज्वारभाटा उमड़ता रहता है।
गुना में साल 1950 जन्में प्रदीप को बस पता चलना चाहिए कि कोई अस्पताल में भर्ती है या किसी की बेटी की शादी में आर्थिक तंगी आड़े आ रही है तो बूंद बराबर मदद करके उन्हें संतोष मिलता है।उनके अमृत महोत्सव पर ‘देते हुए शुभकामना’ स्मारिका का संपादन-कार्यक्रम का संचालन करने वाले हरेराम वाजपेयी ने बताया कि
1987 में हमने हिंदी परिवार संस्था की स्थापना की। हमने पहले दिन से तय कर रखा था संस्था के कार्यक्रम में बाहर से सहयोग नहीं लेंगे। प्रदीप हमारी संस्था की आर्थिक जान है। कितना भी बड़ा कार्यक्रम हो, हर बार वो आर्थिक सहयोग को तत्पर रहते हैं। पहले आधा खर्चा इस हिदायत को साथ देंगे, बाकी की व्यवस्था न भी हो तो चिंता मत करना मैं हूं। प्रदीप नवीन आशु कवि हैं, तो वाजपेयी ने उन्हें जो अभिनंदन पत्र भेंट किया गया, उनकी पंक्तियों ‘नवीन जी तुम जियो उतने साल, जितने दाढ़ी में तुम्हारे बाल’ पर हॉल में खूब ठहाके लगे।
🔹हम पांच पांडव
शहर में कहीं साहित्यिक कार्यक्रम में आना जाना हो प्रदीप की कार सेवा तय रहती है। हर जगह हम पांच मित्र प्रभु त्रिवेदी, संतोष मोहंती, सदाशिव, प्रदीप नवीन और मैं (वाजपेयी) एक साथ पहुंचते हैं। जैसे आज सब हिमाचली टोपी पहने है, ऐसे हर कार्यक्रम से पहले ड्रेस कोड तय कर लेते हैं। डॉ. विकास दवे तो हमें पांच पांडव नाम दे चुके हैं। इंदौर में कार भी प्रदीप की, पेट्रोल खर्चा भी उन्हीं का। इंदौर से बाहर यात्रा पर कहीं भी जाएं, चाय से लेकर भोजन तक का खर्चा वो ही वहन करते हैं।
🔹कीर्तिवान वही होता है जो समाज हित की बात करता है: सत्तन
जाल सभागृह में आयोजित नवीन उत्सव में राष्ट्रीय कवि सत्यनारायण सत्तन ने अपने अध्यक्षीय उदबोधन में कहा स्वयं की परवाह न करके समाज के हित की बात करने वाला, इसके लिए स्वयं को समर्पित करने वाला व्यक्ति निश्चित रूप से समाज में कीर्ति पाता है। कवि सत्यनारायण सत्तनजी ने कहा कि कवि प्रदीप नवीन ने अपना सारा जीवन साहित्य सर्जन और समाज की सेवा करने में समर्पित किया।
सारस्वत अतिथि डॉक्टर माला सिंह ठाकुर ने कहा कि हमें अपनी भाषा संस्कृति और संस्कारों के साथ सनातन परंपराओं की परवाह करनी चाहिए। नवीन जी ने इन सारी बातों का ध्यान रखा है, इसलिए वंदनीय है। वीणा के संपादक राकेश शर्मा ने साहित्य सृजन के माध्यम से नवीन के बारे में कहा कि हास्य व्यंग्य के कवि होकर भी इन्होंने कभी ऐसा कुछ नहीं लिखा जो किसी को खटके यह सब के प्रिय रहे हैं।
करीब 30 से अधिक साहित्यिक और सामाजिक संस्थाओं ने उनका भव्य स्वागत किया अभिनंदन पत्र का वाचन संतोष मोहंती ने किया, स्वागत उद्बोधन सदाशिव कौतुक ने दिया तथा आभार प्रभु त्रिवेदी ने व्यक्त किया। अतिथियों ने स्मारिका का विमोचन किया। नवीन जी के जीवन पर आधारित लघु फिल्म सौम्या मोहंती के द्वारा प्रस्तुत की गई। अतिथियों का स्वागत डॉक्टर अरुणा सराफ, मीना निमजे, दीपक शिरालकर नरेंद्र शर्मा, प्रीति काले प्रमोद काले आदि ने किया।
नवीन जी का स्वागत पद्मश्री जगदीश जोशीला सहित शहर के पत्रकारों सहित साहित्यिक, सांस्कृतिक संस्थाओं, बैंककर्मी संगठनों के साथ सनावद बड़वाह खरगोन धार पुणे मुंबई देवास धार उज्जैन महिदपुर धरगांव आदि शहरों से भी आए साहित्यकारों ने उनका सम्मान किया।